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1965 की जंग में युद्धविराम का रहस्य: एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी का खुलासा

भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने 1965 की जंग में युद्धविराम के निर्णय के पीछे की रणनीति का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय किसी दबाव में नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। जानें कि भारत का असली उद्देश्य क्या था और कैसे यह निर्णय एक परिपक्वता का प्रतीक है।
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1965 की जंग में युद्धविराम का रहस्य: एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी का खुलासा

युद्धविराम का निर्णय: एक रणनीतिक कदम

भारतीय वायुसेना के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने 1965 की जंग के दौरान युद्धविराम के निर्णय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय किसी दबाव में नहीं लिया गया था, बल्कि यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। उन्होंने कहा, "हमने युद्धविराम का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि हम अपने लक्ष्यों को पूरा कर चुके थे।"


वायुसेना प्रमुख ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और उस समय की परिस्थितियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के तहत कश्मीर में घुसपैठ की थी, जिसका भारत ने आक्रामक जवाब दिया।


उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य पाकिस्तान पर कब्जा करना नहीं था, बल्कि कुछ सीमित लक्ष्यों को हासिल करना था: दुश्मन को पीछे धकेलना, उसकी सैन्य ताकत को कमजोर करना, और अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचना।


एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, "जब हमने देखा कि हमारे सभी रणनीतिक लक्ष्य पूरे हो चुके हैं, तो हमने युद्धविराम की घोषणा की। इसे हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी परिपक्वता का प्रतीक माना जाना चाहिए।"


उन्होंने यह भी बताया कि आज की भारत की सैन्य क्षमता और वैश्विक स्थिति 1965 से बहुत अलग है। उनका बयान न केवल 1965 की जंग पर नई रोशनी डालता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत हमेशा से एक जिम्मेदार राष्ट्र रहा है।