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2008 मुंबई हमलों में तहव्वुर राणा का बड़ा खुलासा: NIA की जांच में नए तथ्य

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में तहव्वुर राणा के फर्जी ऑफिस का खुलासा किया है। राणा ने डेविड हेडली की मदद के लिए एक नकली दफ्तर खोला था, जिसका इस्तेमाल लक्ष्यों की जासूसी के लिए किया गया। NIA ने इस साजिश की शुरुआत 2005 में होने का दावा किया है और राणा पर कई गंभीर धाराएं लगाई हैं। जानें इस मामले में नए सुराग और अमेरिका से प्रत्यर्पण की कहानी।
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2008 मुंबई हमलों में तहव्वुर राणा का बड़ा खुलासा: NIA की जांच में नए तथ्य

NIA की जांच में तहव्वुर राणा का खुलासा

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों की जांच में एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। एजेंसी के अनुसार, कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा ने पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली की सहायता के लिए मुंबई में एक फर्जी कार्यालय स्थापित किया था। यह कार्यालय हमलों से पहले लक्ष्यों की जासूसी करने के उद्देश्य से खोला गया था।


NIA के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने 'इमिग्रेंट लॉ सेंटर' नाम से एक नकली ऑफिस खोला, जो बाहरी तौर पर एक वैध व्यवसाय प्रतीत होता था, लेकिन वास्तव में इसका कोई व्यावसायिक कार्य नहीं था। यह कार्यालय दो साल से अधिक समय तक सक्रिय रहा और इसका उपयोग केवल डेविड हेडली की जासूसी गतिविधियों में सहायता के लिए किया गया। हेडली ने इसी कार्यालय का उपयोग करके मुंबई के प्रमुख होटलों, रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थलों की निगरानी की, जो बाद में 26/11 के हमलों का लक्ष्य बने।


साजिश की शुरुआत 2005 में

साजिश की शुरुआत 2005 में हुई थी


चार्जशीट में NIA ने यह भी बताया है कि यह साजिश केवल 2008 तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसकी शुरुआत 2005 में हुई थी। राणा इस बड़े आतंकी षड्यंत्र का हिस्सा था, जिसमें पाकिस्तान में स्थित कई अन्य साजिशकर्ता भी शामिल थे। इनका उद्देश्य भारत की अखंडता और आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालना और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना था। NIA ने राणा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 302, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया है, साथ ही यूएपीए की धारा 16 और 18 के अंतर्गत आतंकवाद से संबंधित धाराएं भी लगाई गई हैं।


अमेरिका से प्रत्यर्पण और नए सुराग

अमेरिका से प्रत्यर्पण और नए सुरागों की तलाश


लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया। जनवरी 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद अप्रैल में उसे NIA की हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ के दौरान राणा ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं, जिनसे जांच के लिए नए सुराग प्राप्त हुए हैं। अब NIA ने अमेरिका को 'म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी' (MLAT) के तहत अनुरोध भेजे हैं ताकि और साक्ष्य जुटाए जा सकें। एजेंसी का कहना है कि जांच अभी जारी है और आगे और भी नाम और सबूत सामने आ सकते हैं।