2025 में भारत की राजनीति: राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग की भूमिका
राजनीतिक संकट और चुनाव आयोग पर सवाल
साल 2025 में भारत की घरेलू राजनीति में सरकार गंभीर संकट का सामना कर रही है। विभिन्न संस्थाओं के दुरुपयोग के आरोपों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। राहुल गांधी ने तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की हैं, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग के कार्यों पर सवाल उठाए हैं। भाजपा भले ही यह दावा करे कि राहुल के आरोप बेबुनियाद हैं, लेकिन उनके उठाए गए मुद्दे चर्चा का विषय बने हुए हैं। 'वोट चोरी' का आरोप भले ही सभी पार्टियों और आम जनता को स्वीकार्य न हो, लेकिन चुनाव आयोग के पक्षपात पर सभी विपक्षी दल सहमत हैं। उन्होंने संसद में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान इस मुद्दे को उठाया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर और मिल्कीपुर विधानसभा की मिसाल देकर चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया।
राहुल गांधी के खुलासे और चुनाव आयोग की जिम्मेदारी
राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा और आलंद विधानसभा सीटों पर जो खुलासे किए हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि मतदाता सूची से वोट कटवाने का कोई संगठित नेटवर्क काम कर रहा है, तो इसे रोकना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। इसके अलावा, यदि फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं या मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि हो रही है, तो इन शिकायतों पर ध्यान देना आवश्यक है। ऐसा न होने पर लोगों में एक नकारात्मक धारणा बन रही है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर राहुल गांधी की आवाज
राहुल गांधी को प्रोग्रेसिव अलायंस द्वारा जर्मनी में आमंत्रित किया गया था, जहां उन्होंने अपने विचार साझा किए। यह कहना गलत है कि राहुल विदेश जाकर भारत को अपमानित कर रहे हैं। आज के संचार के युग में, किसी भी बात का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि वे संसद में या जर्मनी में क्या कह रहे हैं, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि उनके विचारों में कितनी सच्चाई है। यदि वे कहते हैं कि भारत में संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है, तो सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।
सरकार की चुनौतियाँ और चुनाव सुधार
कुल मिलाकर, 2025 में सरकार का राजनीतिक नैरेटिव सही दिशा में नहीं जा रहा है। घुसपैठ के मुद्दे पर सरकार खुद उलझी हुई है। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान कितने घुसपैठिए पकड़े गए, यह स्पष्ट नहीं है। इसी तरह, बंगाल में भी यही स्थिति है। प्रदूषण का मुद्दा भी भाजपा के लिए चुनौती बन गया है। दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाने वाली भाजपा अब खुद इस मुद्दे पर विफल साबित हो रही है। चुनाव सुधारों पर चर्चा से चुनाव आयोग के पक्षपात की बात भी सामने आई है।
