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21 साल की दीप्ति ने पिता को दिया नया जीवन, लिवर डोनेट कर बनी प्रेरणा

21 वर्षीय दीप्ति राज मेड़तिया ने अपने पिता जितेंद्र सिंह की जान बचाने के लिए साहसिक कदम उठाया, जब उन्होंने अपने लिवर का 60% हिस्सा दान किया। जितेंद्र पिछले तीन वर्षों से लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे और परिवार के अन्य सदस्य डोनर बनने में असमर्थ थे। दीप्ति की यह प्रेरणादायक कहानी न केवल उनके साहस को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि परिवार के लिए प्यार किसी भी चुनौती को पार कर सकता है। जानें इस अद्वितीय ऑपरेशन की पूरी कहानी।
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21 साल की दीप्ति ने पिता को दिया नया जीवन, लिवर डोनेट कर बनी प्रेरणा

राजस्थान की दीप्ति का साहसिक कदम

Rajasthan news: पाली के खारड़ा गांव की 21 वर्षीय दीप्ति राज मेड़तिया ने अपने पिता जितेंद्र सिंह (46) की जान बचाने के लिए एक अद्वितीय कदम उठाया, जो सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। दीप्ति ने अपने पिता को लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा दान किया, जिससे उनकी जान बच गई। जितेंद्र सिंह पिछले तीन वर्षों से लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और परिवार के अन्य सदस्य डोनर बनने में असमर्थ थे। यह सफल ऑपरेशन गुरुग्राम के वेदांता हॉस्पिटल में हुआ, और अब पिता-पुत्री डॉक्टरों की देखरेख में हैं।


लिवर की बीमारी से बढ़ी चिंता

जितेंद्र सिंह पेट में दर्द, उच्च रक्तचाप और चक्कर आने जैसी समस्याओं से ग्रस्त थे। उन्होंने जोधपुर, अहमदाबाद और उदयपुर में इलाज कराया, लेकिन उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि यदि परिवार का कोई सदस्य लिवर डोनेट नहीं करता है, तो उनकी जान को खतरा है और उनके पास केवल तीन महीने बचे हैं।


दादा की चिंता और दीप्ति की जिद

जब दीप्ति ने डोनर बनने की इच्छा व्यक्त की, तो उनके दादा गणपत सिंह ने पहले मना कर दिया। उन्होंने कहा कि दीप्ति अभी बहुत छोटी हैं और यदि उन्हें कुछ हो गया, तो परिवार खुद को कभी माफ नहीं कर पाएगा। लेकिन दीप्ति ने कहा कि उनके लिए पिता से बढ़कर कोई नहीं है। अंततः उनकी जिद और साहस ने पूरे परिवार को मानने पर मजबूर कर दिया।


सफल ऑपरेशन की कहानी

परिवार ने दीप्ति और जितेंद्र सिंह को गुरुग्राम के वेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया। वहां डॉक्टरों ने दीप्ति के टेस्ट किए और बताया कि वह अपने पिता को लिवर का 60% हिस्सा डोनेट कर सकती हैं। 29 अगस्त को लगभग 15 घंटे तक चले ऑपरेशन में दीप्ति का लिवर ट्रांसप्लांट सफल रहा।


ऑपरेशन के बाद की देखभाल

ऑपरेशन के बाद दीप्ति को एक दिन आईसीयू में और पांच दिन वार्ड में रखा गया। जितेंद्र सिंह अभी भी अस्पताल में निगरानी में हैं और अगले तीन महीने तक किसी से मिलने की अनुमति नहीं है। उनकी मां रिंकू कंवर ने कहा कि दीप्ति ने साहस और जज्बे के साथ अपने पिता को नया जीवन दिया है।


प्रेरणादायक कहानी

दीप्ति राज मेड़तिया की यह कहानी हर परिवार और युवा के लिए प्रेरणा है। इस बहादुरी ने साबित कर दिया कि परिवार के लिए प्यार और साहस किसी भी चुनौती को पार कर सकता है।