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26/11 मुंबई हमले की यादें: ताज पैलेस की वीरता और आतंक का मंजर

26/11 का मुंबई आतंकी हमला एक ऐसा मंजर था जिसने देश को हिला कर रख दिया। ताज पैलेस और ट्राइडेंट होटल पर हुए हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई। इस हमले में ताज के स्टाफ की बहादुरी और सुरक्षा बलों की वीरता ने कई जानें बचाईं। जानें उस रात की घटनाओं के बारे में, जिसमें नरीमन हाउस में एक नैनी ने एक बच्चे की जान बचाई। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हम कभी भी इस हमले को नहीं भूल सकते।
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26/11 मुंबई हमले की यादें: ताज पैलेस की वीरता और आतंक का मंजर

26/11 मुंबई आतंकी हमला: ताज पैलेस की कहानी

26/11 का मुंबई आतंकी हमला देश के दिल को झकझोर देने वाला था। ताज पैलेस का गुंबद, जो आग और धुएं से घिरा हुआ था, उस रात की सबसे भयावह छवियों में से एक बन गया। यह होटल, जो गेटवे ऑफ इंडिया और अरब सागर का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, 26 से 28 नवंबर तक आतंकवाद की एक भयानक कहानी का गवाह बना।


ताज होटल और ट्राइडेंट पर आतंकियों का हमला

ओबेरॉय ग्रुप के ताज पैलेस और उसके निकटवर्ती ट्राइडेंट होटल को आतंकवादियों ने अपना निशाना बनाया। लॉबी, बार और होटल के पीछे के क्षेत्रों में मौजूद मेहमानों और स्टाफ पर आतंकियों ने बेतरतीब फायरिंग की।


कंधार रेस्टोरेंट में फंसे लोग

आतंकियों ने ऊपरी मंजिल पर स्थित कंधार रेस्टोरेंट को भी निशाना बनाया। उन्होंने ग्रेनेड फेंके, जिससे आग लग गई और कई विदेशी नागरिकों सहित मेहमान अंदर फंस गए। स्थिति बंधक संकट जैसी हो गई थी।


स्टाफ की बहादुरी ने बचाई कई जानें

ताज के स्टाफ ने उस रात अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया। नियमित फायर ड्रिल और होटल के सभी निकासों की जानकारी ने उनकी हिम्मत को बढ़ाया। उस समय के हेड शेफ हेमंत ओबेरॉय और उनकी टीम ने लगभग 200 मेहमानों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की।


कमांडोज़ की वीरता

सुरक्षा बलों और NSG कमांडोज़ ने होटल में घुसकर अधिकांश बंधकों को बचाया। इससे पहले CST स्टेशन पर दो आतंकियों की अंधाधुंध फायरिंग में 58 से अधिक लोग मारे गए और 104 घायल हुए।


अजमल कसाब: एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकवादी

सभी आतंकवादी मारे गए, केवल अजमल कसाब को जीवित पकड़ा गया। लंबे ट्रायल के बाद उसे फांसी की सजा दी गई।


166 लोगों की जान गई, 300 से अधिक घायल

उस रात 166 निर्दोष लोगों की जान चली गई। 300 से अधिक लोग घायल हुए। देश ने बहादुर पुलिस अधिकारियों—हेमंत करकरे, अशोक कामटे और विजय सालस्कर—को खो दिया।


नरीमन हाउस में मानवता की मिसाल

नरीमन हाउस में आतंकियों ने रब्बी गैवरियल होल्ट्ज़बर्ग, उनकी पत्नी रिवका और अन्य लोगों को बंधक बना लिया। लेकिन इसी बीच एक भारतीय नैनी—सैंड्रा सैमुअल—ने दो साल के मोशे होल्ट्ज़बर्ग को अपनी जान पर खेलकर बचाया। बाद में मोशे अपने परिवार के साथ इज़रायल भेजा गया।


कभी मत भूलना; कभी माफ मत करना

17 साल बाद भी देश इस हमले को नहीं भूलता, और उन पोस्टरों की बात फिर से गूंजती है—“Never Forget; Never Forgive.”