3 जून: भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़
3 जून 1947 को भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने ब्रिटिश भारत के विभाजन की योजना का ऐलान किया। यह दिन भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसने भारत और पाकिस्तान के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया। इस विभाजन के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विस्थापन और सांप्रदायिक हिंसा हुई। जानें इस दिन के ऐतिहासिक महत्व के बारे में और कैसे इसने भारतीय समाज को प्रभावित किया।
Jun 3, 2025, 13:51 IST
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3 जून का ऐतिहासिक महत्व
आज, 3 जून, भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। 1947 में इसी दिन, भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने ब्रिटिश भारत के विभाजन की योजना का औपचारिक ऐलान किया। इस योजना के अनुसार, ब्रिटिश राज के अंत के साथ भारत को दो स्वतंत्र देशों में बांटने का निर्णय लिया गया: भारत और पाकिस्तान। इसे 'माउंटबेटन योजना' या '3 जून योजना' के नाम से भी जाना जाता है।लॉर्ड माउंटबेटन की यह घोषणा भारत की स्वतंत्रता और विभाजन की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम थी। यह निर्णय विभिन्न राजनीतिक दलों, विशेषकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लंबे समय से चल रही बातचीत और उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों का परिणाम था।
इस विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोगों का विस्थापन हुआ और भयानक सांप्रदायिक हिंसा भड़की, जिसने अनगिनत जीवन को प्रभावित किया। 3 जून 1947 का दिन उस योजना की घोषणा का प्रतीक है जिसने भारतीय उपमहाद्वीप का भूगोल और भविष्य हमेशा के लिए बदल दिया। यह दिन स्वतंत्रता के साथ-साथ विभाजन के दर्द की भी याद दिलाता है।