350वीं शहादत पर गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि
गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत
आज पूरा देश और विश्वभर में सिख समुदाय श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत को श्रद्धांजलि दे रहा है। सिखों के नौवें गुरु ने मानवता, धार्मिक स्वतंत्रता और सत्य की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनका जीवन विनम्रता, त्याग, प्रेम, समानता और सेवा का प्रतीक माना जाता है।
यहां हम गुरु तेग बहादुर जी के जीवन से जुड़ी एक प्रेरणादायक घटना का उल्लेख कर रहे हैं, जिसने इतिहास में गहरी छाप छोड़ी।
चांदनी चौक का ऐतिहासिक दिन—11 जुलाई 1675
दिल्ली के चांदनी चौक में उस दिन भारी भीड़ थी। मुगल सम्राट औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को मृत्युदंड देने का आदेश दिया था, क्योंकि उन पर आरोप था कि वे कश्मीरी पंडितों को जबरन धर्मांतरण से बचा रहे थे।
फिर एक ऐसा घटनाक्रम हुआ जिसे आज भी इतिहास में 'चमत्कार' के रूप में देखा जाता है।
गुरु तेग बहादुर जी का शांतिपूर्ण उत्तर
जब जल्लाद ने तलवार उठाई, तभी अचानक एक भयंकर तूफान आया, आंधी चली और चारों ओर अंधेरा छा गया। भीड़ में दहशत फैल गई। गुरु जी के शिष्य मति दास ने घबराकर पूछा—
“गुरु देव! यह क्या हो रहा है? क्या यह ईश्वर का क्रोध है?”
गुरु तेग बहादुर जी ने अत्यंत शांत स्वर में उत्तर दिया—
“नहीं, मति दास। यह ईश्वर का क्रोध नहीं, बल्कि प्रकृति का शोक है। जब अधर्म बढ़ता है और निर्दोषों पर अत्याचार होता है, तब प्रकृति भी विद्रोह कर उठती है।”
सत्य की रक्षा का संदेश
उन्होंने आगे कहा—
“सत्य की रक्षा के लिए शरीर का बलिदान एक छोटा सा योगदान है। धर्म की रक्षा सबसे बड़ा कर्तव्य है।”
गुरु तेग बहादुर जी का अमर संदेश
गुरु तेग बहादुर जी के शब्दों में वह अमर संदेश समाया है जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है—
धार्मिक स्वतंत्रता हर व्यक्ति का मूल अधिकार है, और इसके लिए जीवन तक न्योछावर कर देना चाहिए।
इसी कारण उन्हें 'हिन्द की चादर' कहा गया—भारत की शान और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक।
शहादत का आयोजन—विशेष कीर्तन और शोभायात्राएं
आज देशभर के गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, अरदास और प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
दिल्ली के गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब, जहां गुरु जी की शहादत और अंतिम संस्कार हुआ था, वहां भव्य शोभायात्राएं और लंगर का आयोजन किया जा रहा है।
गुरु तेग बहादुर जी का जीवन हमें सिखाता है
अधर्म के सामने कभी मत झुको।
सत्य, साहस और मानवता के मार्ग पर अडिग रहो।
उनकी शहादत आज भी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
