49 साल बाद चोरी के मामले में आरोपी ने कबूल किया जुर्म

झांसी में अद्भुत चोरी का मामला
झांसी। एक अनोखे चोरी के मामले में अदालत का फैसला सबको चौंका देने वाला है। 150 रुपये की घड़ी और दो रसीद बुक की चोरी के मामले में 49 साल तक कानूनी लड़ाई चली। अंततः, आरोपी ने बीमारी और थकान के कारण अपना अपराध स्वीकार कर लिया। अदालत ने उसे केवल 2000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला उत्तर प्रदेश के झांसी का है।
जानकारी के अनुसार, 1976 में झांसी के टहरौली थाना क्षेत्र के बमनुआ गांव में एलएसएस सहकारी समिति के चपरासी कन्हैयालाल और उनके दो साथी, लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ पर 150 रुपये की घड़ी और रसीद बुक चुराने का आरोप लगा था। इसके साथ ही, उन पर 14,472 रुपये के गबन का भी आरोप था। इस मामले ने 49 वर्षों तक अदालत की प्रक्रिया को प्रभावित किया। कन्हैयालाल, जो उस समय 25 वर्ष के थे, अब लगभग 75 वर्ष के हो चुके हैं। अंततः उन्होंने अदालत में कहा, 'अब और तारीख नहीं!' बीमारी और थकान ने उन्हें मजबूर कर दिया और उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। अदालत ने दया दिखाते हुए उन्हें 2000 रुपये का जुर्माना लगाकर रिहा कर दिया। वहीं, लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है। यह घटना दर्शाती है कि 150 रुपये की घड़ी का मामला 49 साल तक चला, लेकिन अदालत ने कभी भी जल्दबाजी नहीं की। झांसी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि आपने कभी छोटी-मोटी चोरी की है, तो आपके पोते-पोतियों को भी अदालत में गवाही देनी पड़ सकती है।
मामले का संक्षिप्त विवरण
झांसी के टहरौली थाना क्षेत्र के बमनुआ गांव में कन्हैया लाल चपरासी के रूप में कार्यरत थे। कन्हैया मध्य प्रदेश के ग्वालियर के निवासी हैं। उनके साथ लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ भी कर्मचारी थे। 1976 में, तत्कालीन सचिव बिहारीलाल गौतम ने तीनों के खिलाफ टहरौली थाने में रसीद बुक और 150 रुपये की घड़ी चोरी करने का मामला दर्ज कराया था। सचिव ने आरोप लगाया था कि तीनों ने रसीद बुक पर सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर कर लोगों से 14,472 रुपये वसूले हैं।