70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों ने उल्लास परीक्षा में भाग लेकर प्रेरणा दी

उल्लास कार्यक्रम के तहत परीक्षा का आयोजन
- इस परीक्षा में 6000 से अधिक शिक्षार्थियों ने लिया भाग
जींद। भारत सरकार के उल्लास (नव भारत साक्षरता कार्यक्रम) के अंतर्गत रविवार को फाउंडेशनल साक्षरता और संख्या ज्ञान मूल्यांकन परीक्षा का आयोजन किया गया। यह परीक्षा जिले के 301 केंद्रों पर आयोजित की गई, जिसमें 6000 से ज्यादा शिक्षार्थियों ने भाग लिया। विशेष रूप से 16 वर्ष से ऊपर के निरक्षरों ने उत्साहपूर्वक परीक्षा में भाग लिया।
बुजुर्गों का उत्साह
इस परीक्षा का मुख्य आकर्षण 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग थे, जिन्होंने सुबह-सुबह परीक्षा केंद्र पर पहुंचकर साक्षर बनने की अपनी इच्छा का प्रदर्शन किया। बुजुर्ग प्रतिभागियों ने बताया कि जीवन की कठिनाइयों के कारण वे बचपन में पढ़ाई नहीं कर सके, लेकिन सरकार की योजनाओं ने उन्हें पढ़ाई का अनमोल अवसर दिया है। उन्होंने खुशी से कहा कि अब वे न केवल हस्ताक्षर कर सकते हैं, बल्कि मोबाइल का उपयोग भी कर सकते हैं और अखबार पढ़ने में सक्षम हैं।
सीखने की कोई उम्र नहीं
यह भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। ज्ञान की ओर उठाया गया हर कदम व्यक्ति और समाज के लिए उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। गांव कंडेला से आई 55 वर्षीय ओमपति देवी ने पहली बार परीक्षा दी और इसे जीवन बदलने वाला अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि सीखने ने उन्हें नए रास्तों की ओर अग्रसर किया है।
सीखने के नए अवसर
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कंडेला के प्रिंसिपल हंसवीर रेढू के नेतृत्व में चलाए गए विशेष अभियान ने गांव के करीब 200 लोगों के लिए सीखने के नए अवसर खोले। उल्लास समन्वयक शशिकांत ने कई केंद्रों का दौरा किया और शिक्षार्थियों की प्रतिक्रिया को प्रेरणादायक पाया। उन्होंने कहा कि साक्षरता से आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
साक्षरता के प्रति प्रतिबद्धता
जिले में सभी शिक्षार्थियों ने सामाजिक चेतना केंद्रों और स्वयंसेवकों की सहायता से गहन शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से खुद को तैयार किया। पिछले शैक्षणिक वर्ष में जींद जिले में 25,306 व्यक्तियों को उल्लास के तहत प्रमाणित किया गया था, जो जिले की साक्षरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।