73 वर्षीय हरजीत कौर की अमेरिका से भारत वापसी: ट्रंप प्रशासन की कड़ी प्रवासी नीति पर सवाल

हरजीत कौर का मामला
अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हाल ही में एक चौंकाने वाला निर्णय लिया है। 73 वर्षीय भारतीय महिला हरजीत कौर, जो पिछले 30 वर्षों से अमेरिका में अपने परिवार के साथ रह रही थीं, को भारत वापस भेज दिया गया है। यह मामला वैश्विक मानवाधिकार और प्रवासी नीतियों पर चर्चा का केंद्र बन गया है।
हरजीत कौर की पहचान
हरजीत कौर पंजाब के मोहाली की निवासी हैं और 1992 में अपने दो बेटों के साथ अमेरिका आई थीं। उनका शरणार्थी आवेदन 2012 में अस्वीकृत हो गया था, लेकिन इसके बावजूद वह हर छह महीने में इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) के कार्यालय में रिपोर्ट करती रहीं। उनके परिवार का कहना है कि अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि दस्तावेज मिलने तक वे अमेरिका में रह सकती हैं।
ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई
ट्रंप प्रशासन ने हरजीत कौर को अमेरिका में वैध रहने के लिए आवश्यक दस्तावेज न होने के कारण डिपोर्ट करने का निर्णय लिया। उन्हें अपने परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें हथकड़ियों में बांधकर भारत भेजा गया। वकील दीपक आहलुवालिया के अनुसार, हरजीत कौर को पहले बेकर्सफील्ड डिटेंशन सेंटर में रखा गया, फिर लॉस एंजेलिस ले जाया गया और वहां से जॉर्जिया के माध्यम से नई दिल्ली भेजा गया।
हिरासत में दुर्व्यवहार का आरोप
हरजीत कौर को जॉर्जिया में 60-70 घंटे तक बिना बिस्तर के फर्श पर कंबल डालकर सोने के लिए मजबूर किया गया। हाल ही में उनके घुटनों का ऑपरेशन हुआ था, जिससे उन्हें उठने और बैठने में कठिनाई हो रही थी। उनके परिवार और समुदाय के लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और उनकी रिहाई की मांग की।
भारत में वापसी के बाद की स्थिति
हरजीत कौर अब भारत में हैं और पंजाब में अपने परिवार के साथ रह रही हैं। उनके वकील ने बताया कि अमेरिका से भारत पहुंचने के दौरान उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह घटना अमेरिका में प्रवासी नीति और ट्रंप प्रशासन के कड़े रुख पर सवाल उठाती है।
अमेरिका की प्रवासी नीति
डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाता रहा है। कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। हरजीत कौर का मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह 30 वर्षों से अमेरिका में रह रही थीं और उनके परिवार का जीवन वहां बसा हुआ था।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
वकील और मानवाधिकार संगठन इस कार्रवाई को मानवाधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। उनका कहना है कि बुजुर्ग और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही महिला के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। यह घटना अमेरिका और भारत दोनों देशों में सोशल मीडिया और मीडिया का प्रमुख विषय बनी हुई है।