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83 वर्षीय हरदयाल सिंह: लुधियाना के सुपर स्टूडेंट की प्रेरणादायक कहानी

83 वर्षीय हरदयाल सिंह की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिन्होंने 40 डिग्रियाँ प्राप्त की हैं। लुधियाना के इस सुपर स्टूडेंट ने शिक्षा के प्रति अपनी लगन और जिज्ञासा से सभी सीमाओं को पार किया है। जानें कैसे उन्होंने 63 वर्षों से निरंतर अध्ययन किया और अपने परिवार को प्रेरित किया।
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83 वर्षीय हरदयाल सिंह: लुधियाना के सुपर स्टूडेंट की प्रेरणादायक कहानी

शिक्षा का अनवरत सफर

लुधियाना: शिक्षा का महत्व कभी कम नहीं होता, और इसका एक अद्भुत उदाहरण हैं 83 वर्षीय हरदयाल सिंह। आर्मी से रिटायर्ड हरदयाल के घर के बाहर लगी नेम प्लेट उनकी उपलब्धियों की कहानी बयां करती है।


हरदयाल सिंह के पास 16 पोस्ट ग्रेजुएट डिग्रियाँ हैं। यदि उनके एमफिल और डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी जोड़े जाएं, तो उनकी कुल डिग्रियों की संख्या लगभग 40 हो जाती है। यह किसी सामान्य व्यक्ति के लिए एक असाधारण उपलब्धि है।


63 वर्षों की निरंतर शिक्षा

63 सालों से जारी पढ़ाई
हरदयाल सिंह पिछले 63 वर्षों से निरंतर अध्ययन कर रहे हैं। आर्मी में रहते हुए, जब भी उनकी पोस्टिंग विभिन्न शहरों में होती थी, वह अपनी जिज्ञासा और पढ़ाई के प्रति प्रेम के कारण नए-नए कोर्स जॉइन कर लेते थे। कभी-कभी उन्होंने कॉरेस्पोंडेंस कोर्स किया, तो कभी फुल-टाइम पढ़ाई भी की।


गरीबी से सफलता की ओर

गरीबी से निकला सफर
10 जून, 1942 को जन्मे हरदयाल सिंह पेशे से सिविल इंजीनियर हैं। उन्होंने 1957 में पंजाब यूनिवर्सिटी से मैट्रिक पास किया और 2002 में आर्मी से रिटायर हुए। हरदयाल का कहना है कि वह एक गरीब परिवार से हैं और शुरू में पढ़ाई का उद्देश्य केवल नौकरी पाना और परिवार का भरण-पोषण करना था। नौकरी मिलने के बाद, उन्होंने अपने भाई-बहनों की पढ़ाई पूरी करवाई और माता-पिता की सहायता की।


नए विषयों के प्रति उत्साह

नए विषयों के लिए जुनून
हरदयाल का कहना है कि नए विषयों की जानकारी हासिल करने की इच्छा उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करती रही। उन्होंने कई ऐसे विषयों में डिग्रियाँ प्राप्त कीं, जिनकी ओर बहुत कम लोग जाते हैं। कई परीक्षाएँ उन्होंने अकेले दीं और सफलता प्राप्त की।


परिवार का समर्थन

परिवार बना सहारा
उनकी शिक्षा यात्रा में उनकी पत्नी और परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया। उनके घर का माहौल इतना शिक्षाप्रद रहा कि उनके तीनों बेटे और एक बेटी भी पिता से प्रेरित होकर आगे बढ़े और आज अपने जीवन में सफल हैं।


अभी भी जारी है अध्ययन

आज भी पढ़ाई जारी
83 वर्ष की उम्र में भी हरदयाल सिंह का अधिकांश समय किताबों के साथ व्यतीत होता है। उनका परिवार चाहता है कि उनकी यह अद्भुत उपलब्धि गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो।


हरदयाल सिंह की यह कहानी यह साबित करती है कि सच्ची लगन और सीखने की इच्छा उम्र की सीमाओं को भी पार कर सकती है।