87 वर्षीय इंद्रजीत सिंह सिद्धू: चंडीगढ़ की सड़कों के स्वच्छता योद्धा

चंडीगढ़ में स्वच्छता का संदेश
इंद्रजीत सिंह सिद्धू: जब सुबह की पहली किरण चंडीगढ़ को जगाती है, तो 87 वर्षीय पंजाब पुलिस के सेवानिवृत्त डीआईजी इंद्रजीत सिंह सिद्धू अपनी साइकिल पर निकल पड़ते हैं। उनके पास न कोई आधिकारिक पद है और न ही कोई औपचारिक अधिकार, फिर भी वह एक साधारण नागरिक के रूप में शहर की सफाई का कार्य करते हैं। उनकी यह दिनचर्या न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने का एक जीवंत उदाहरण भी है।
इंद्रजीत सिंह सिद्धू अपनी सादगी और समर्पण के लिए जाने जाते हैं। वह कहते हैं, "मुझे साफ़-सुथरी जगह पसंद है, इसलिए मैं सफाई करने की कोशिश करता हूं। अगर इस बाजार की पार्किंग साफ हो तो अच्छा रहेगा। अगर आप किसी भी विदेशी देश में जाएं और वहां की फ़र्श देखें, तो वे आम तौर पर बहुत साफ होती हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है।" उनकी यह बातें स्वच्छता के प्रति उनके गहरे जुनून को दर्शाती हैं। चंडीगढ़, जो अपनी सुंदरता और स्वच्छता के लिए पूरे देश में मशहूर है, स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में 3 से 10 लाख आबादी वाले शहरों में दूसरे स्थान पर रहा। फिर भी, सिद्धू का ध्यान रैंकिंग पर नहीं, बल्कि सड़कों को और बेहतर बनाने पर है।
This clip which was shared with me is about Shri Inder Jit Singh Sidhu of Chandigarh.
— anand mahindra (@anandmahindra) July 22, 2025
Apparently, every morning at 6 AM, in the quiet streets of Chandigarh’s sector 49, this 88-year-old retired police officer begins his day in service.
Armed with nothing but a cycle cart and… pic.twitter.com/pkDlptoY8f
उद्योगपति आनंद महिंद्रा की सराहना
इंद्रजीत सिंह सिद्धू के इस अनुकरणीय कार्य ने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि उद्योगपति आनंद महिंद्रा को भी प्रभावित किया। उन्होंने अपने 'एक्स' अकाउंट पर सिद्धू को "सड़कों का शांत योद्धा" कहकर सम्मानित किया। यह उपाधि उनके शांत स्वभाव और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जो बिना किसी शोर-शराबे के समाज के लिए कुछ बेहतर करने की उनकी भावना को दर्शाता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में चंडीगढ़ की स्थिति
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 के तहत "सुपर स्वच्छ लीग" श्रेणी में नोएडा ने पहला स्थान हासिल किया, जबकि चंडीगढ़ दूसरे और मैसूरु तीसरे स्थान पर रहा। हालांकि चंडीगढ़ शीर्ष स्थान से चूक गया, लेकिन सिद्धू जैसे नागरिकों के प्रयासों ने शहर की स्वच्छता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह हर दिन अपनी साइकिल पर निकलकर यह साबित करते हैं कि स्वच्छता केवल सरकारी योजनाओं का विषय नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
प्रेरणा का स्रोत: सिद्धू का संदेश
इंद्रजीत सिंह सिद्धू की कहानी हमें यह सिखाती है कि उम्र और पद कोई मायने नहीं रखते, जब बात अपने शहर और देश के लिए कुछ करने की हो। उनकी साइकिल और झाड़ू न केवल सड़कों को साफ करती है, बल्कि समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी फैलाती है। वह हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं, जो बदलाव की शुरुआत अपने स्तर से करना चाहता है।