AI पर निर्भरता: रिश्तों में भावनाओं की कमी का खतरा

AI के बढ़ते प्रभाव पर विचार
रिश्तों के लिए सुझाव: वर्तमान समय में तकनीक ने लोगों की जिंदगी को काफी सरल बना दिया है। आजकल के लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर निर्भर हो गए हैं। चाहे खाना बनाने की विधि हो, बच्चे का नाम रखने का मामला हो, या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, लोग सभी सवालों के जवाब AI से ही लेते हैं। क्या आप भी ऐसे ही हैं जो हर चीज के लिए AI का सहारा लेते हैं? अगर हां, तो आइए जानते हैं विनम्रसागर के अनुसार AI का आपकी दैनिक जिंदगी में उपयोग क्यों हानिकारक हो सकता है।
AI पर भरोसा बढ़ता जा रहा है
विनम्र सागर के अनुसार, आजकल के लोग खुद पर भरोसा करने के बजाय CHATGPT पर अधिक निर्भर हो गए हैं। उदाहरण के लिए, पहले बच्चे के नाम का चयन कुंडली और ग्रहों के आधार पर किया जाता था, लेकिन अब लोग CHATGPT पर नाम डालकर हजारों विकल्पों में से एक चुन लेते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य में AI की भूमिका
विनम्र सागर का मानना है कि लोग अपनी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए भी AI का सहारा ले रहे हैं। जब लोग CHATGPT से पूछते हैं कि एंजाइटी और डिप्रेशन से कैसे निपटें, तो वे AI द्वारा दिए गए सुझावों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेते हैं।
रिश्तों में AI का उपयोग
कई लोग अपने ब्रेकअप के बाद पूरी चैट कॉपी करके CHATGPT से पूछते हैं कि गलती किसकी थी और रिश्ते को कैसे सुधारें। विनम्र सागर का कहना है कि यह केवल यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि लोग फैशन, रेसिपी और अन्य चीजों के लिए भी AI पर निर्भर हो गए हैं।
AI से बातचीत का चलन
विनम्र सागर के अनुसार, कुछ लोग तो CHATGPT से बातचीत करने लगते हैं और अपनी सारी बातें AI को बता देते हैं।
भावनाओं की समझ इंसानों से ही
विनम्र सागर का कहना है कि तकनीक जीवन को आसान बना सकती है, लेकिन भावनाओं को समझने के लिए मानव बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है। कभी-कभी मां की डांट या दोस्तों का प्यार, ये सब AI नहीं दे सकता। वे कहते हैं कि AI से सलाह लेना ठीक है, लेकिन भावनाओं को इंसानों के साथ ही साझा करना चाहिए, क्योंकि भावनाएं 'हार्ट टू हार्ट' होती हैं।