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AI वॉयस क्लोनिंग: साइबर ठगों का नया हथियार, जानें कैसे बचें

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित वॉयस क्लोनिंग तकनीक अब साइबर अपराधियों के लिए एक नया हथियार बन गई है। मात्र 10 सेकंड की रिकॉर्डिंग से किसी की आवाज़ की हूबहू नकल की जा सकती है, जिससे ठग भावनात्मक ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। इस लेख में जानें कि कैसे ये ठग आपकी भावनाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं और आप खुद को इस खतरे से कैसे बचा सकते हैं। क्या सरकार इस खतरे से निपटने के लिए तैयार है? जानिए सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
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AI वॉयस क्लोनिंग: साइबर ठगों का नया हथियार, जानें कैसे बचें

AI वॉयस क्लोनिंग का खतरा

Tech News: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित वॉयस क्लोनिंग तकनीक अब इतनी उन्नत हो गई है कि केवल 10 सेकंड की रिकॉर्डिंग से किसी भी व्यक्ति की आवाज़ की सटीक नकल की जा सकती है। इस तकनीक का उपयोग अब साइबर अपराधी एक नए तरीके से कर रहे हैं। वे आपके परिवार, दोस्तों या सहकर्मियों की आवाज़ की नकल कर आपसे पैसे, जानकारी या भावनात्मक सहायता झूठे बहानों से मांगते हैं। सोचिए, अगर आपकी मां की आवाज़ में कोई रोते हुए कॉल करे और कहे कि वह मुसीबत में है, तो क्या आप तुरंत मदद करेंगे? या फिर यदि आपके बॉस की नकली आवाज़ में कोई मीटिंग लिंक भेजे और आपसे लॉगिन मांगे, तो क्या आप पहचान पाएंगे कि यह फर्जी है?


एक महिला का अनुभव

एक महिला को फोन आया, जिसमें उसके बेटे की आवाज़ थी, जो रोते हुए मदद की गुहार लगा रहा था। महिला घबरा गई और बिना देर किए उस नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर दिए। लेकिन कुछ समय बाद जब असली बेटे से संपर्क हुआ, तो पता चला कि बेटा बिल्कुल ठीक था और उसने कोई कॉल नहीं की थी। वास्तव में, यह एक AI द्वारा बनाई गई फर्जी कॉल थी, जिसमें उसकी आवाज़ को हूबहू कॉपी किया गया था। यह पहला मामला नहीं है, बल्कि देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां वॉयस क्लोनिंग तकनीक का उपयोग भावनात्मक ब्लैकमेलिंग के लिए किया जा रहा है।


रिकॉर्डिंग की चोरी का तरीका

व्हाट्सएप और सोशल मीडिया से होती है रिकॉर्डिंग की चोरी

साइबर अपराधी अब व्हाट्सएप कॉल्स, स्टोरीज़ या यूट्यूब वीडियो से आपकी आवाज़ चुरा लेते हैं। AI मॉडल्स इन रिकॉर्डिंग्स को प्रोसेस कर फर्जी आवाज़ें तैयार करते हैं। ये आवाज़ें इतनी वास्तविक लगती हैं कि असली और नकली में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। रिकॉर्डिंग के कुछ सेकंड अब आपकी पहचान को खतरे में डाल सकते हैं। यह तकनीक अब हर सामान्य उपयोगकर्ता को साइबर क्राइम के खतरे में डाल रही है।


भावनाओं का शिकार

AI से बनी आवाज़ें आपकी भावनाओं को निशाना बनाती हैं

ठग जानते हैं कि किस लहजे में क्या कहना है और कब भावनाओं का उपयोग करना है। फर्जी आवाज़ें इमोशनल अपील करती हैं, जैसे रोती हुई मां, घबराया हुआ दोस्त या गुस्से में बॉस। इनका उद्देश्य आपको सोचने का समय न देना और तुरंत कार्रवाई करने के लिए मजबूर करना है। ये साइबर हमले सीधे आपके दिल और रिश्तों को निशाना बनाते हैं।


सरकार की तैयारी

क्या सरकार तैयार है इस खतरे से निपटने को?

अब तक ऐसी फर्जी कॉल्स को रोकने के लिए न तो कोई सख्त कानून है और न ही कोई स्पष्ट रणनीति। साइबर सेल के पास तकनीकी उपकरणों और प्रशिक्षण की कमी है। जांच एजेंसियां इस नई तकनीक के सामने खुद को असहाय महसूस कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वॉयस क्लोनिंग पर सख्त नियमों की आवश्यकता है। साथ ही, आम लोगों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाना होगा।


सुरक्षा के उपाय

आप खुद को कैसे बचा सकते हैं?

यदि किसी की आवाज़ में कोई कॉल आए—भले ही वह अपने करीबी की हो—तो तुरंत कॉल डिसकनेक्ट कर उस व्यक्ति से दोबारा बात करें। किसी भी व्यक्तिगत बातचीत की रिकॉर्डिंग या ऑडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर साझा करने से बचें। दो-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, सुरक्षित ऐप्स और कॉलर वेरिफिकेशन जैसे उपाय अपनाएं। हर बात को बिना जांचे न मानें, चाहे वह कितनी भी भरोसेमंद आवाज़ क्यों न हो। सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।