Al-Falah University पर गंभीर आरोप: दिल्ली पुलिस ने दर्ज की दो FIRs
नई दिल्ली में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ीं
नई दिल्ली: फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गई है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने विश्वविद्यालय के खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। इस संदर्भ में, क्राइम ब्रांच की एक टीम ने ओखला में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यालय का दौरा किया और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों की मांग की है।
यह कार्रवाई उस समय की गई है जब यूजीसी (UGC) और एनएएसी (NAAC) की रिपोर्टों में विश्वविद्यालय में गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था। इन रिपोर्टों ने संस्थान की कार्यप्रणाली और उसके एक्रेडिटेशन दावों पर सवाल उठाए हैं।
एक्रेडिटेशन में धोखाधड़ी के आरोप
दूसरी एफआईआर विश्वविद्यालय द्वारा गलत जानकारी देकर एक्रेडिटेशन प्राप्त करने के आरोप में दर्ज की गई है। यूजीसी और एनएएसी की टीमों ने निरीक्षण के दौरान पाया कि विश्वविद्यालय ने अपनी मान्यता और ग्रेडिंग के संबंध में भ्रामक जानकारी प्रस्तुत की थी।
The Delhi Crime Branch has filed two separate FIRs against Al-Falah University, one for cheating and the second under sections of forgery. Today, a team from the Delhi Crime Branch visited the Al Falah University office in Okhla. The Delhi Police has issued a notice to the…
— News Media (@NewsMedia) November 15, 2025
कई विभागों और पाठ्यक्रमों में मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। कुछ सुविधाओं और संसाधनों के बारे में किए गए दावे वास्तविकता से मेल नहीं खाते। इन अनियमितताओं को गंभीर मानते हुए क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की और संबंधित दस्तावेज तलब किए हैं।
पुलिस की जांच का दायरा
क्राइम ब्रांच की टीम ने ओखला स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कार्यालय में पहुंचकर प्रशासनिक रिकॉर्ड, मान्यता प्रमाणपत्र, फैकल्टी से संबंधित दस्तावेज, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विवरण और छात्रों के दाखिले और परीक्षा प्रक्रिया से जुड़ी फाइलें जांच के लिए मांगी हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दस्तावेजों की जांच के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी।
आतंकवादी मॉड्यूल से संबंधों की जांच
यूनिवर्सिटी के कुछ डॉक्टर्स के आतंकवादी मॉड्यूल से जुड़े होने के खुलासे के बाद से ही संस्थान की गतिविधियों पर सवाल उठने लगे थे। अब इन दो एफआईआर ने विवाद को और गहरा कर दिया है।
जांच एजेंसियों का मानना है कि विश्वविद्यालय से जुड़े रिकॉर्ड और दस्तावेज इस बात का पता लगाने में मदद करेंगे कि संस्थान में किस प्रकार की अनियमितताएं चल रही थीं और इन्हें क्यों छिपाया गया।
