BCCI को हाई कोर्ट से मिला बड़ा झटका, कोच्चि टस्कर्स को 538 करोड़ का मुआवजा

BCCI को कोर्ट से झटका
BCCI: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को बॉम्बे हाई कोर्ट से एक महत्वपूर्ण झटका लगा है। कोर्ट ने कोच्चि टस्कर्स केरल, जो अब बंद हो चुकी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) फ्रेंचाइजी है, के मालिकों को 538 करोड़ रुपये से अधिक के मुआवजे का आदेश बरकरार रखा है।
यह निर्णय मंगलवार, 17 जून 2025 को सुनाया गया। कोर्ट ने BCCI की अपील को खारिज करते हुए कहा कि वह मध्यस्थता के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह मामला 2011 का है और तब से इसका निपटारा नहीं हो सका है।
कोच्चि टस्कर्स और BCCI के बीच विवाद
कोच्चि टस्कर्स केरल को 2011 में IPL फ्रेंचाइजी के रूप में शामिल किया गया था। इस फ्रेंचाइजी का संचालन रेंडेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड (RSW) और कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (KCPL) के एक समूह द्वारा किया गया था। हालांकि, सितंबर 2011 में BCCI ने फ्रेंचाइजी समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कोच्चि टस्कर्स को समाप्त कर दिया।
BCCI का कहना था कि फ्रेंचाइजी ने 10% बैंक गारंटी जमा नहीं की, जो समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। KCPL ने दावा किया कि गारंटी में देरी का कारण स्टेडियम की उपलब्धता, शेयरहोल्डिंग पर नियामक मंजूरी और IPL मैचों की संख्या में अचानक कमी जैसी समस्याएं थीं।
मध्यस्थता में कोच्चि टस्कर्स की जीत
2012 में KCPL और RSW ने BCCI के खिलाफ मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू की। 2015 में मध्यस्थता ट्रिब्यूनल ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। ट्रिब्यूनल ने BCCI को KCPL को 384 करोड़ रुपये (मुनाफे के नुकसान के लिए) और RSW को 153 करोड़ रुपये (बैंक गारंटी के गलत इस्तेमाल के लिए) देने का आदेश दिया। इसके साथ ही 18% सालाना ब्याज और कानूनी खर्च भी देने को कहा गया।
बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस आर.आई. चागला ने BCCI की अपील को खारिज करते हुए कहा कि आर्बिट्रेशन एक्ट की धारा 34 के तहत कोर्ट की शक्तियां सीमित हैं। कोर्ट मध्यस्थता के फैसले की मेरिट पर सवाल नहीं उठा सकता। जज ने कहा, "BCCI का कोच्चि फ्रेंचाइजी को समाप्त करना अनुबंध का गंभीर उल्लंघन था। इस फैसले में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।"