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CDS जनरल चौहान का बड़ा बयान: तीनों सेनाओं का अभूतपूर्व सहयोग और भविष्य के युद्ध की तकनीक

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने तीनों सेनाओं के बीच सहयोग और भविष्य के युद्ध की तकनीक पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि कैसे नई क्षमताएँ और साझा संसाधन भारत को भविष्य के संघर्षों में बढ़त दिलाएँगे। जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाए गए समन्वय और साझा हथियार प्रणालियों के महत्व पर भी प्रकाश डाला। जानें उनके बयान के प्रमुख बिंदु और भविष्य के युद्धक्षेत्र की तैयारी के बारे में।
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CDS जनरल चौहान का बड़ा बयान: तीनों सेनाओं का अभूतपूर्व सहयोग और भविष्य के युद्ध की तकनीक

CDS जनरल चौहान का बड़ा बयान


भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में कहा कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बढ़ते एकीकरण के बावजूद, तीनों सेनाएँ अपनी अलग पहचान बनाए रखेंगी। पहलगाम हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाए गए बेहतरीन समन्वय का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि नई क्षमताएँ, साझा संसाधन और तकनीक-आधारित तैयारियाँ भारत को भविष्य के संघर्षों में महत्वपूर्ण बढ़त दिलाएँगी।


14-15 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव में बोलते हुए, सीडीएस ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्राप्त सहज तालमेल पर जोर दिया। 22 अप्रैल से 7 मई के बीच, कई प्रमुख सैन्य संसाधनों को पश्चिमी मोर्चे की ओर स्थानांतरित किया गया, जिसे एक-स्टार कमांड स्तर पर सफलतापूर्वक लागू किया गया।


सीडीएस ने प्रमुख परिचालन जानकारियों का खुलासा किया


जनरल चौहान ने बताया कि एमआरएसएएम और ब्रह्मोस जैसी साझा हथियार प्रणालियाँ सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता में तेजी से सुधार ला रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय नौसेना ने हाल के अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें PALM-400 और PALM-120 जैसे लंबी दूरी के लोइटरिंग हथियार शामिल हैं। यह क्षमता पहले थलसेना और वायुसेना के लिए अज्ञात थी, हालाँकि एकीकृत रक्षा स्टाफ (IDS) को इसकी जानकारी थी।


भविष्य के युद्धक्षेत्र की तैयारी


भविष्य की तैयारियों पर चर्चा करते हुए, सीडीएस ने कहा कि एक बार थिएटर कमांड चालू हो जाने पर, संयुक्त मुख्यालयों में तैनात कर्मचारियों को एक साथ प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे एक मजबूत "संयुक्त संस्कृति" का विकास होगा। उन्होंने यह भी बताया कि मानव भूगोल को समझना भौतिक भूगोल के समान महत्वपूर्ण है, विशेषकर आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के दौरान।


जनरल चौहान के अनुसार, भविष्य के युद्ध वे ही जीतेंगे जो अंतरिक्ष, साइबर और उन्नत तकनीक जैसे नए क्षेत्रों में विषमता पैदा कर सकते हैं। पारंपरिक युद्ध भले ही क्रूर और महंगे बने रहें, लेकिन संघर्ष के नए स्वरूप अधिक तीव्र, स्मार्ट और प्रौद्योगिकी-संचालित होंगे।