CJI गवई का बड़ा फैसला: वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अब नहीं मिलेगी तत्काल सुनवाई की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट में नया नियम
CJI Court: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने अदालत में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। सोमवार से, किसी भी वरिष्ठ वकील को मामलों को तुरंत सूचीबद्ध करने या सुनवाई के लिए मौखिक रूप से उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस निर्णय का उद्देश्य जूनियर वकीलों को अदालत में मामलों के तात्कालिक उल्लेख का अवसर प्रदान करना है। इस संबंध में शीर्ष अदालत ने औपचारिक नोटिस भी जारी कर दिया है।
गवई ने यह घोषणा 6 अगस्त को की थी और इसे 11 अगस्त से लागू करने का निर्णय लिया था। उल्लेखनीय है कि उन्होंने 14 मई को पदभार ग्रहण करने के बाद तत्काल उल्लेख की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया था, जिसे उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने समाप्त कर दिया था। खन्ना के कार्यकाल में वकीलों को तत्काल सुनवाई के लिए ई-मेल या लिखित आवेदन भेजने के लिए कहा जाता था।
न्याय का उद्देश्य
‘हमारा मकसद केवल न्याय’
इस बीच, रविवार को गुवाहाटी हाई कोर्ट की नई इटानगर स्थायी बेंच का उद्घाटन करते हुए सीजेआई गवई ने न्यायपालिका की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 'न अदालतें, न न्यायपालिका और न ही विधायिका किसी विशेष वर्ग या पदाधिकारी के लिए हैं। हमारा एक ही उद्देश्य है, लोगों तक न्याय पहुंचाना'। उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों की सराहना की जिन्होंने न्याय को अधिक सुलभ बनाने के प्रयास किए।
अरुणाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता की प्रशंसा करते हुए गवई ने कहा कि राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से अधिक उप-जनजातियां हैं। सरकार ने इनकी परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति हमारी सांस्कृतिक धरोहर की कीमत पर नहीं होनी चाहिए और संविधान ने हमें इन मूल्यों को संरक्षित करने का मौलिक कर्तव्य सौंपा है।
संविधान का महत्व
संविधान, हर भारतीय का ग्रंथ
सीजेआई ने डॉ. बी.आर. आंबेडकर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि बाबा साहेब भारत की एकता के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने सुनिश्चित किया कि संविधान शांति और युद्ध, दोनों परिस्थितियों में देश को एकजुट रखे। उन्होंने नागरिकों से संविधान पढ़ने की अपील करते हुए कहा कि हर धर्म का अपना धर्मग्रंथ होता है, लेकिन हर भारतीय के लिए संविधान सबसे बड़ा ग्रंथ है। हमारी पहली निष्ठा इसी के प्रति होनी चाहिए।