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CJI पर जूता फेंकने वाले वकील का विवादास्पद बयान

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने कहा कि यह उनका दिव्य कर्तव्य था। उन्होंने इस कदम के पीछे का कारण बताया और कहा कि उन्हें अपने कार्य पर कोई पछतावा नहीं है। इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन हुए, जिसमें लोगों ने संविधान की रक्षा की मांग की। जानें इस विवादास्पद घटना के सभी पहलुओं के बारे में।
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CJI पर जूता फेंकने वाले वकील का विवादास्पद बयान

मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने का मामला

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा, 'यह मेरे लिए एक दिव्य कर्तव्य था, क्योंकि भगवान ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा था।' किशोर ने बताया कि जब सीजेआई ने खजुराहो के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की याचिका खारिज की, तो वे अत्यंत दुखी हुए, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपने कार्य पर कोई पछतावा नहीं है और यदि भगवान ने फिर से कहा, तो वह ऐसा करेंगे।


इस घटना के खिलाफ मंगलवार को मयूर विहार में किशोर के रिवरव्यू अपार्टमेंट के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने जूते की मालाएं, डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीरें और संविधान की प्रतियां लेकर आए। उन्होंने नारे लगाए, 'सीजेआई का अपमान नहीं सहेंगे हिंदुस्तान।' आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक सौरभ भारद्वाज भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल जूता फेंकने का नहीं है, बल्कि संविधान पर हमला है।


प्रदर्शन के दौरान पुलिस की तैनाती

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि पुलिस इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करे, चाहे औपचारिक शिकायत दर्ज हुई हो या नहीं। इस घटना की देशभर में कड़ी निंदा हो रही है। इस संदर्भ में सोसाइटी के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड लगाए गए।