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CRPF के ASI मोतीराम जाट की गिरफ्तारी: क्या है पाकिस्तान से जुड़ाव का सच?

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने CRPF के ASI मोतीराम जाट को गिरफ्तार किया है, जो पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी लीक कर रहा था। जांच में यह सामने आया है कि जाट को जानकारी के बदले पैसे मिलते थे, और उसकी भूमिका पहलगाम में हुए आतंकी हमले से भी जुड़ी हो सकती है। NIA अब इस मामले में अन्य अधिकारियों और स्थानीय एजेंटों की भूमिका की भी जांच कर रही है। क्या यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा में सबसे बड़ी सेंध साबित होगा? जानें पूरी कहानी।
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CRPF के ASI मोतीराम जाट की गिरफ्तारी: क्या है पाकिस्तान से जुड़ाव का सच?

NIA की चौंकाने वाली कार्रवाई

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 26 मई को एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए CRPF के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) मोतीराम जाट को दिल्ली से गिरफ्तार किया। उन पर आरोप है कि वह पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी लीक कर रहा था। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि जाट का पाकिस्तान के एजेंटों के साथ लगातार संपर्क था, जिन्होंने खुद को एक समाचार चैनल का पत्रकार बताकर उस पर भरोसा जीता।


जानकारी के बदले पैसे का खेल

जांच में यह भी सामने आया कि मोतीराम को हर जानकारी के लिए निश्चित राशि दी जाती थी। सामान्य जानकारी के लिए उसे 3,500 रुपये प्रति माह मिलते थे, जबकि गृहमंत्री अमित शाह या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के दौरे जैसी विशेष जानकारियों के लिए 12,000 रुपये तक दिए जाते थे। ये पैसे मोतीराम और उसकी पत्नी के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जाते थे, और समय पर सही जानकारी देने पर ही उन्हें भुगतान किया जाता था।


पहलगाम हमले से पहले का ट्रांसफर

मोतीराम जाट CRPF की 116वीं बटालियन में तैनात था और उसकी पोस्टिंग पहलगाम में थी, जहां 22 अप्रैल को एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। आशंका है कि इस हमले से पहले खुफिया जानकारी लीक की गई थी, क्योंकि जाट का ट्रांसफर हमले से ठीक 5 दिन पहले किया गया था। इस कारण उसकी भूमिका की जांच उस हमले से भी जोड़ी जा रही है।


ISI के संपर्क में था जवान

सूत्रों के अनुसार, मोतीराम को ISI ने पहले से ही अपने निशाने पर ले रखा था। उसे धीरे-धीरे पैसों का लालच देकर जाल में फंसाया गया। शुरुआत में छोटी जानकारी ली गई और फिर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की गईं। NIA की प्रारंभिक पूछताछ में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं, और जवान के मोबाइल व डिजिटल उपकरणों की गहन जांच की जा रही है।


जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है

NIA अब इस पूरे नेटवर्क का विस्तार से खुलासा करने में जुटी है। मोतीराम के करीबी लोगों, बैंक खातों और कॉल डिटेल्स की जांच की जा रही है। एजेंसी को संदेह है कि इसमें केवल मोतीराम ही नहीं, बल्कि अन्य अधिकारी या स्थानीय एजेंट भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए अब जांच का दायरा कई राज्यों तक फैलाया जा रहा है।


जवान से पूछताछ जारी

गिरफ्तारी के बाद मोतीराम को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 6 जून तक NIA रिमांड पर भेजा गया है। इस दौरान एजेंसी उससे और डिजिटल सबूतों की जांच कर रही है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह मामला एक बड़ा सबक बन चुका है कि आंतरिक सुरक्षाबलों में भी जासूसी के नेटवर्क को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


NIA की नजर पहलगाम हमले पर

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, NIA की नजर अब उस पहलगाम हमले पर भी है, जिसमें कई जवान घायल हुए थे। यदि यह साबित हो जाता है कि मोतीराम ने हमले से पहले कोई जानकारी दी थी, तो यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा में सबसे बड़ी सेंध मानी जाएगी।