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CSIS रिपोर्ट: कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों की गतिविधियों का खुलासा

कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS की 2024 की रिपोर्ट में खालिस्तानी चरमपंथियों की गतिविधियों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये चरमपंथी कनाडा से भारत में आतंक और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। यह पहली बार है जब कनाडा ने स्वीकार किया है कि उसकी धरती का उपयोग भारत के खिलाफ साजिशों के लिए किया जा रहा है। रिपोर्ट ने कनाडा-भारत संबंधों में तनाव को बढ़ाया है और सिख वोट बैंक पर भी बहस छेड़ी है। जानिए इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं और इसके प्रभाव के बारे में।
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CSIS रिपोर्ट: कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों की गतिविधियों का खुलासा

CSIS की रिपोर्ट का सारांश

CSIS रिपोर्ट: कनाडा की खुफिया एजेंसी कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) द्वारा जारी 2024 की सार्वजनिक रिपोर्ट ने खालिस्तानी चरमपंथियों की गतिविधियों पर चिंता जताई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी चरमपंथी भारत में आतंक और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं, जो कनाडा-भारत संबंधों के लिए एक नई चुनौती बन गई है। यह पहली बार है जब कनाडा ने स्वीकार किया है कि उसकी धरती का उपयोग भारत के खिलाफ साजिशों के लिए किया जा रहा है। इस रिपोर्ट ने न केवल कूटनीतिक तनाव को बढ़ाया है, बल्कि कनाडा की आंतरिक राजनीति और सिख वोट बैंक पर भी बहस को जन्म दिया है।


रिपोर्ट की मुख्य बातें

रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा को भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एक आधार के रूप में उपयोग कर रहे हैं। CSIS के अनुसार, ये लोग कनाडा से धन जुटाते हैं, योजनाएँ बनाते हैं और प्रचार करते हैं, जिसका प्रभाव मुख्य रूप से भारत के पंजाब में देखा जाता है। इन्हें इनस्पायर्ड वायलेंट एक्सट्रीमिस्ट (IMVE) थ्रेट एक्टर्स कहा गया है, जो सीधे बड़े हमलों की योजना नहीं बनाते, लेकिन अपने प्रचार के माध्यम से दूसरों को हिंसा के लिए प्रेरित करते हैं।


खालिस्तानी मूवमेंट का इतिहास

खालिस्तानी मूवमेंट की शुरुआत 1970 और 1980 के दशक में भारत के पंजाब में हुई थी, जब सिखों ने एक अलग देश खालिस्तान की मांग की थी। भारत सरकार ने इसे दबाने की कोशिश की, लेकिन इसके समर्थक विदेशों में सक्रिय रहे। CSIS की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में रहने वाले कुछ खालिस्तानी समर्थक भारत में हिंसा के लिए धन जुटाते हैं और प्रचार करते हैं, जो कनाडा की स्वतंत्रता का लाभ उठाकर भारत के खिलाफ साजिशें रचते हैं।


कनाडा-भारत संबंधों में बदलाव

इस रिपोर्ट ने कनाडा-भारत के रिश्तों में एक नया मोड़ ला दिया है। पहले, कनाडा की सरकारें खालिस्तानी गतिविधियों पर चुप्पी साधे रहती थीं, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। हाल ही में कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने G7 समिट के दौरान नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिसमें खालिस्तानी मुद्दे पर चर्चा हुई।


रिपोर्ट का महत्व

यह रिपोर्ट कनाडा-भारत के रिश्तों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि इससे व्यापार, प्रौद्योगिकी, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ सकता है। CSIS की चेतावनी से कनाडा को अब सख्त कानून लागू करने पड़ सकते हैं, जो भारत की सुरक्षा के लिए फायदेमंद होगा। खालिस्तानी गतिविधियों पर नियंत्रण दोनों देशों के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा है। हालांकि, कनाडा में सिख वोट बैंक और भारत के साथ संबंधों के बीच संतुलन बनाना कार्नी सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।