Dahi Handi 2025: मुंबई में उत्सव के दौरान गोविंदाओं की चोटें, सुरक्षा पर उठे सवाल

दही हांडी उत्सव का आयोजन
Dahi Handi 2025 Injuries : कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर महाराष्ट्र, खासकर मुंबई में, दही हांडी के पारंपरिक कार्यक्रमों का आयोजन धूमधाम से हुआ। सैकड़ों गोविंदाओं ने उत्साह के साथ भाग लिया और मानव पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ने की चुनौती को स्वीकार किया। लेकिन इस उत्सव के दौरान कुछ चिंताजनक घटनाएं भी हुईं, जिसमें कई गोविंदा घायल हो गए।
BMC द्वारा जारी आंकड़े
BMC ने जारी किए आंकड़े
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने शाम 6 बजे तक की रिपोर्ट में बताया कि कुल 75 गोविंदा घायल हुए हैं। इनमें से 32 अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं, जबकि 43 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। GT अस्पताल में भर्ती एक गोविंदा की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।
पूर्व और पश्चिम मुंबई में स्थिति
पूर्व और पश्चिम मुंबई में स्थिति
पूर्वी मुंबई के अस्पतालों में 17 घायल गोविंदाओं को भर्ती किया गया, जिनमें से 4 का इलाज चल रहा है और 13 को छुट्टी मिल चुकी है। वहीं, पश्चिमी मुंबई में 10 गोविंदा घायल हुए, जिनमें से 9 को छुट्टी मिली और 1 की हालत गंभीर है।
सुरक्षा पर उठे सवाल
सुरक्षा पर उठे सवाल
इस बार भी दही हांडी जैसे जोखिम भरे आयोजन में चोटें लगने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। BMC और अन्य प्रशासनिक अधिकारी घटनाओं पर नजर रखे हुए हैं और आयोजकों से अपील कर रहे हैं कि वे आगामी आयोजनों में सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करें।
दही हांडी उत्सव का महत्व
क्या है दही हांडी उत्सव?
दही हांडी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उनके बचपन की लीलाओं को दर्शाता है। इसमें युवा गोविंदा टोली एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर मानव पिरामिड बनाते हैं और ऊंचाई पर लटकी हुई मटकी को तोड़ते हैं। इस मटकी में दही, माखन या अन्य दूध उत्पाद भरे होते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामूहिकता, साहस और समर्पण का प्रतीक भी है।
उत्सव का उत्साह और सावधानी
उत्सव का उत्साह और सावधानी दोनों जरूरी
मुंबई और महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में दही हांडी कार्यक्रमों को लेकर अपार उत्साह देखा गया। हालांकि, हर साल की तरह इस बार भी कुछ दुखद घटनाएं देखने को मिलीं। प्रशासन और समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि परंपरा और उत्सव का आनंद तभी सार्थक है जब उसमें भाग लेने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।