DRDO की नई CQB कार्बाइन: भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

DRDO CQB कार्बाइन का परिचय
DRDO CQB कार्बाइन : भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसी दिशा में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक नई कार्बाइन गन विकसित की है, जिसे भारतीय सेना ने पसंद किया है। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय सेना ने लगभग 2000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जिसके तहत उसे 4,25,213 CQB कार्बाइन प्राप्त होंगी। यह कार्बाइन पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) द्वारा डिज़ाइन की गई है।
क्लोज क्वार्टर बैटल में इसकी विशेषताएँ
DRDO की नई 5.56×45 mm क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन पुरानी 9mm स्टर्लिंग कार्बाइन की जगह लेगी। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत पहल को मजबूत करती है और भारत की रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमता को दर्शाती है। इस CQB कार्बाइन को विशेष रूप से 'क्लोज क्वार्टर बैटल' के लिए डिज़ाइन किया गया है, जहाँ सैनिकों को आतंकवादियों के साथ आमने-सामने लड़ाई करनी होती है। यह हथियार छोटा, हल्का और तेज़ है, जिससे सैनिक इसे आसानी से उपयोग कर सकते हैं।
सटीकता और प्रदर्शन
इस हथियार की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सटीकता है। यह एक बार में एक गोली या लगातार गोली चलाने की क्षमता रखता है। गोली चलाने पर हथियार अधिक हिलता नहीं है, जिससे निशाना सटीक होता है। इसका वजन लगभग 3 किलो है, जिससे सैनिक इसे लंबे समय तक आसानी से ले जा सकते हैं। यह 100-150 मीटर तक लक्ष्य पर सटीक निशाना लगा सकता है, जो शहरी या जंगलों में लड़ाई के लिए उपयुक्त है।
हर परिस्थिति में सफल
इस हथियार ने सेना के कठोर परीक्षणों को सफलतापूर्वक पास किया है। चाहे राजस्थान की गर्मी हो या लद्दाख की ठंड, इसने हर जगह अच्छा प्रदर्शन किया है। यह केंद्रीय पुलिस बलों और उत्तर प्रदेश पुलिस के परीक्षणों में भी सफल रहा है। इसे भारत फोर्ज की पुणे स्थित फैक्ट्री में निर्मित किया जाएगा।
भारत की आत्मनिर्भरता की कहानी
DRDO और भारत फोर्ज की 5.56×45 mm CQB कार्बाइन एक स्वदेशी हथियार है, जो छोटा, हल्का, सटीक और आधुनिक है। यह नजदीकी लड़ाई में सैनिकों का सबसे बड़ा साथी बनेगा। यह न केवल सेना को मजबूत करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि भारत अब अपने हथियार खुद बना सकता है। यह भारत की ताकत और आत्मविश्वास की कहानी है।