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El Nino और La Nina का प्रभाव: सर्दियों की भविष्यवाणी

इस वर्ष भारत में मॉनसून में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, जिससे सर्दियों की भविष्यवाणी पर सवाल उठ रहे हैं। El Nino और La Nina का प्रभाव मौसम को कैसे प्रभावित करता है, यह जानना महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल ला नीना के कारण ठंड अधिक पड़ सकती है। जानें इन घटनाओं के बारे में और कैसे ये भारत के मौसम को प्रभावित करती हैं।
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El Nino और La Nina का प्रभाव: सर्दियों की भविष्यवाणी

El Nino और La Nina का मौसम पर प्रभाव

El Nino & La Nina प्रभाव: इस वर्ष मॉनसून में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। देश के कई हिस्सों में गर्मी का प्रकोप रहा, जिससे लोगों को बाहर निकलना कठिन हो गया। वहीं, बारिश के दौरान कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। अब सर्दियों के मौसम को लेकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ला नीना प्रभाव के कारण अत्यधिक ठंड पड़ सकती है। मौजूदा मौसम के हालात को देखते हुए यह माना जा रहा है कि El Nino और La Nina का प्रभाव अधिक स्पष्ट है। आइए जानते हैं ये दोनों घटनाएं क्या हैं और ये भारत के मौसम को कैसे प्रभावित करती हैं।


El Nino और La Nina क्या हैं?

क्या है ये प्रभाव?


समुद्र की लहरों में होने वाली हलचल केवल समुद्र तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसका गहरा संबंध हमारे दैनिक मौसम से भी है। अल नीनो और ला नीना वैश्विक मौसम को प्रभावित करते हैं और ऐसे बदलाव लाते हैं जो हानिकारक हो सकते हैं। यह प्रभाव प्रशांत महासागर में होने वाली गतिविधियों से उत्पन्न होता है, जिसे विशेषज्ञ आज भी रहस्यमय मानते हैं।



अल नीनो क्या है?


अल नीनो या El Nino प्रभाव से गर्मी बढ़ती है। यह एक स्पैनिश शब्द है जिसका अर्थ 'छोटा बच्चा' है। यह नाम दक्षिणी मछुआरों से प्रेरित है, जो 1600 के दशक में रखा गया था। इस घटना में समुद्र में पूर्व से पश्चिम की ओर हवा का प्रवाह होता है, जिससे पानी का तापमान बढ़ता है। अल नीनो का प्रभाव आमतौर पर क्रिसमस के आसपास होता है।


अल नीनो के कारण भारत में मॉनसून में देरी हो सकती है या इसका प्रभाव कमजोर हो सकता है, जिससे सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है। वहीं, अमेरिका में इसके कारण पश्चिमी तट ठंडा हो जाता है और बाढ़ का खतरा बढ़ता है।


ला नीना क्या है?


ला नीना, अल नीनो के विपरीत, प्रशांत महासागर के पानी को ठंडा कर देती है। इसके कारण भारत में अधिक बारिश और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। इसे अल नीनो की बहन भी कहा जाता है।


ला नीना के प्रभाव से भारत में ठंड बढ़ सकती है और बारिश भी अधिक हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल भारत में ठंड का स्तर अधिक हो सकता है।


इनका प्रभाव कब होता है?


विशेषज्ञों के अनुसार, ला नीना हर 2 से 7 साल में होती है और कभी-कभी इसका प्रभाव 9 से 12 महीनों तक रह सकता है। अल नीनो की घटनाएं अधिक बार होती हैं।


भारत में इनका प्रभाव कब-कब देखा गया?


अल नीनो भारत में पिछले कुछ वर्षों में तीन बार देखा गया है, जिसमें 2002, 2009 और 2015 शामिल हैं। वहीं, ला नीना 1998 से 2000 तक लगातार तीन वर्षों तक बनी रही।


ला नीना का प्रभाव और सर्दियों की स्थिति


अगर भारत में ला नीना का प्रभाव होता है, तो सर्दियां अधिक ठंडी होंगी। उत्तर भारत में तापमान गिर सकता है और बर्फबारी भी सामान्य से अधिक हो सकती है।