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EPFO के नए नियम: पीएफ निकासी प्रक्रिया में सुधार

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने पीएफ निकासी के नियमों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जिससे प्रक्रिया सरल और डिजिटल हो गई है। नए नियमों के तहत आंशिक निकासी को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, निकासी सीमा बढ़ाई गई है, और सेवा अवधि को घटाकर 12 महीने किया गया है। इसके अलावा, विशेष परिस्थितियों में बिना कारण बताए निकासी की अनुमति दी गई है। यह बदलाव लाखों कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
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EPFO के नए नियम: पीएफ निकासी प्रक्रिया में सुधार

EPFO के नए नियमों की जानकारी


EPFO के नए नियम: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारियों की सुविधा और 'Ease of Living' को ध्यान में रखते हुए पीएफ निकासी के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ईपीएफओ की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने आंशिक निकासी से संबंधित 13 जटिल नियमों को समाप्त कर उन्हें तीन सरल श्रेणियों में वर्गीकृत किया है।


इन परिवर्तनों के माध्यम से कर्मचारियों के लिए पैसे निकालना न केवल आसान होगा, बल्कि प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल और तेज भी हो जाएगी। इन सुधारों का लाभ लाखों कर्मचारियों को मिलेगा और पीएफ निकासी प्रक्रिया पहले से अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बन जाएगी। ईपीएफ निकासी को सुव्यवस्थित करते हुए सीमा बढ़ाई गई है, सेवा अवधि को घटाकर 12 महीने किया गया है, और कई अन्य बदलाव भी किए गए हैं।


1. तीन नई श्रेणियों में सरल ढांचा

अब ईपीएफ से आंशिक निकासी के नियमों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है: 'आवश्यक जरूरतें' (जैसे बीमारी, शिक्षा, शादी), 'हाउसिंग जरूरतें' (घर खरीदना या बनवाना), और 'विशेष परिस्थितियां'। पहले 13 अलग-अलग प्रावधानों के कारण प्रक्रिया काफी जटिल थी।


2. बढ़ी हुई निकासी सीमा

अब सदस्य अपने पात्र भविष्य निधि बैलेंस का 100 प्रतिशत तक निकाल सकते हैं, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान शामिल होगा। शिक्षा के लिए निकासी की सीमा पहले से 10 गुना और शादी के लिए 5 गुना बढ़ा दी गई है। पहले इन दोनों के लिए संयुक्त रूप से केवल तीन बार निकासी की अनुमति थी।


3. सेवा अवधि घटाकर 12 महीने की गई

पहले विभिन्न कारणों के लिए अलग-अलग सेवा अवधि की शर्तें थीं। अब सभी प्रकार की आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि केवल 12 महीने कर दी गई है, जिससे नए कर्मचारियों को भी जल्दी राहत मिल सकेगी।


4. 'स्पेशल सर्कमस्टांसेस' में वजह बताने की जरूरत खत्म

पहले प्राकृतिक आपदा, महामारी या बेरोजगारी जैसी स्थितियों में निकासी के लिए कारण बताना आवश्यक था, जिससे कई दावे अस्वीकृत हो जाते थे। अब ऐसे मामलों में बिना कारण बताए निकासी की जा सकेगी, जिससे पैसे जल्दी मिल सकेंगे।


5. नया न्यूनतम बैलेंस और आसान सेटलमेंट प्रक्रिया

अब सदस्यों को अपनी जमा राशि का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा खाते में बनाए रखना होगा ताकि रिटायरमेंट के समय पर्याप्त रकम रहे और 8.25 प्रतिशत वार्षिक ब्याज मिलता रहे। पूरी प्रक्रिया दस्तावेज़-मुक्त और 100 प्रतिशत ऑटो सेटल होगी, जिससे क्लेम तेजी से निपटेंगे। साथ ही समयपूर्व फाइनल सेटलमेंट और पेंशन निकासी की अवधि भी बढ़ाई गई है ताकि लंबी अवधि की बचत को प्रोत्साहन मिले।