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EPFO के नए नियम: साल में छह बार बिना कारण पीएफ निकासी की अनुमति

सरकार ने EPFO के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत अब कर्मचारी साल में छह बार बिना किसी कारण के पीएफ निकासी कर सकेंगे। यह बदलाव कर्मचारियों को आपात स्थिति में राहत प्रदान करेगा और उनके वित्तीय प्रबंधन को आसान बनाएगा। हालांकि, निकासी की एक सीमा भी निर्धारित की गई है। जानें इस नए नियम के बारे में और क्या-क्या बदलाव हुए हैं।
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EPFO के नए नियम: साल में छह बार बिना कारण पीएफ निकासी की अनुमति

EPFO के नए नियमों की जानकारी


EPFO के नए नियम: कई बार, आपात स्थिति में लोगों को अपने पीएफ खाते से पैसे निकालने में कठिनाई होती है। यदि वे पैसे निकालते हैं, तो उन्हें इसके लिए एक उचित कारण बताना पड़ता है। लेकिन अब सरकार ने ईपीएफओ के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव करने का संकेत दिया है।


एक रिपोर्ट के अनुसार, नए प्रस्ताव के तहत, साल में छह बार पीएफ निकासी की अनुमति दी जा सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए किसी कारण का उल्लेख नहीं करना होगा। हालांकि, एक शर्त है।


कर्मचारियों को आपात स्थिति में राहत


रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित बदलावों में साल में छह बार बिना किसी कारण के पीएफ निकासी की अनुमति देना शामिल है। इससे कर्मचारियों को आपात स्थिति में त्वरित राहत मिलेगी, कैश फ्लो प्रबंधन सरल होगा और उनके वित्त पर बेहतर नियंत्रण होगा। हालांकि, एक शर्त यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने पीएफ बैलेंस का 50% से अधिक नहीं निकाल सकता। यह सीमा इसीलिए निर्धारित की गई है ताकि पीएफ बैलेंस पूरी तरह समाप्त न हो और रिटायरमेंट के लिए फंड सुरक्षित रहे।


पहले के नियम क्या थे?


पहले पीएफ निकासी के लिए कुछ नियम थे। शादी के लिए 50% पीएफ बैलेंस निकाला जा सकता था, लेकिन इसके लिए कम से कम 7 साल की सदस्यता होनी चाहिए थी। पढ़ाई के लिए भी 50% पीएफ निकालने का विकल्प था, लेकिन खाता 7 साल पुराना होना चाहिए था।


घर खरीदने या बनाने के लिए पीएफ बैलेंस और ईपीएस से पैसे निकाले जा सकते थे, लेकिन इसके लिए कम से कम 5 साल की नौकरी होनी चाहिए थी। चिकित्सा आपात स्थिति में जरूरत के अनुसार पैसे निकाले जा सकते थे, इसकी कोई सीमा नहीं थी। बेरोजगारी की स्थिति में 75% पीएफ निकालने का विकल्प था, लेकिन कम से कम एक महीने तक बेरोजगार होना आवश्यक था।