पाकिस्तान के वित्तीय लेन-देन पर FATF की चिंता
अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से संबंधित वित्तीय लेन-देन और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। 21 जून 2025 को जारी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, FATF ने बताया कि पाकिस्तान इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को पूरा करने में असफल रहा है। भारत इसे पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर घेरने का एक महत्वपूर्ण अवसर मान रहा है। सूत्रों के अनुसार, भारत इस FATF डोजियर का उपयोग कर सकता है ताकि पाकिस्तान को फिर से FATF की 'ग्रे लिस्ट' में डाल सके। यदि ऐसा होता है, तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, जैसे IMF और विश्व बैंक से ऋण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। FATF ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान ने मिसाइल प्रौद्योगिकी के अवैध प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं और इसके वित्तीय मार्गों में कमजोरियां बनी हुई हैं। यह चिंता तब और बढ़ जाती है जब पाकिस्तान के पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए, जहां उसे पहले भी आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने में विफल रहने के लिए ग्रे लिस्ट में रखा गया था। भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद और परमाणु/मिसाइल प्रसार को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है। FATF की यह नई रिपोर्ट भारत के इन दावों को मजबूत करती है और उसे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने का एक नया अवसर प्रदान करती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय FATF की इस रिपोर्ट पर कैसे प्रतिक्रिया करता है और क्या पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी के दायरे में आता है, जिससे उसकी पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ेगा।