Newzfatafatlogo

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि: अमेरिका में नया विवाद और उसके प्रभाव

अमेरिका में H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि के कारण एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू की गई इस नई फीस के खिलाफ संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया गया है। स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा से जुड़े समूहों का कहना है कि यह वृद्धि नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। जानें इस विवाद के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 | 
H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि: अमेरिका में नया विवाद और उसके प्रभाव

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि का विवाद

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि: अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर हाल ही में एक बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस को बढ़ाकर लगभग 88 लाख रुपये कर दिया है। इस नए आदेश के खिलाफ शुक्रवार को अमेरिका की संघीय अदालत में एक मुकदमा दायर किया गया। स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और धार्मिक संगठनों से जुड़े कई समूहों ने कहा कि यह अचानक लागू की गई नई फीस नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती है.


H-1B वीजा की फीस बढ़ाने का कारण

राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर को इस आदेश पर हस्ताक्षर किए। उनका कहना था कि H-1B वीजा प्रोग्राम का दुरुपयोग किया गया है और इससे अमेरिकी कर्मचारियों को सस्ते विदेशी कर्मचारियों से बदलने का खतरा बढ़ गया है। इस आदेश को केवल 36 घंटे में लागू कर दिया गया, जिससे नियोक्ताओं में हड़कंप मच गया.


व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने प्रशासन के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि इस आदेश का उद्देश्य कंपनियों को सिस्टम में घुसपैठ करने और अमेरिकी वेतन में कमी लाने से रोकना है.


ट्रंप के निर्णय के खिलाफ अदालत में मुकदमा

सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत में दायर मुकदमे में कहा गया है कि H-1B वीजा अमेरिका में स्वास्थ्यकर्मियों और शिक्षकों की नियुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। डेमोक्रेसी फॉरवर्ड फाउंडेशन और जस्टिस एक्शन सेंटर ने चेतावनी दी है कि यदि नई फीस लागू होती है, तो अस्पतालों से डॉक्टर, चर्च से पादरी और स्कूलों से शिक्षक चले जाएंगे.


डेमोक्रेसी फॉरवर्ड की अध्यक्ष स्काई पेरिमैन ने कहा कि यह अत्यधिक महंगी फीस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है और अवैध है। H-1B प्रोग्राम कांग्रेस द्वारा स्थापित किया गया था और ट्रंप इसे रातों-रात नहीं बदल सकते.


अमेरिकन यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स संघ के अध्यक्ष टॉड वोल्फसन ने कहा कि 1 लाख डॉलर की फीस लगने से प्रतिभाशाली लोग अमेरिका आने और जीवन बचाने वाले शोध करने से पीछे हट जाएंगे.


H-1B वीजा प्रोग्राम का परिचय

H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में टेक कंपनियों और अन्य उद्योगों के लिए उच्च कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों को लाने का एक प्रमुख साधन है। इस प्रोग्राम के तहत हर साल 65,000 वीजा जारी किए जाते हैं, जबकि अतिरिक्त 20,000 वीजा उन्नत डिग्री धारकों के लिए आरक्षित होते हैं.


हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इस प्रोग्राम का विरोध करते हैं और कहते हैं कि विदेशी कर्मचारी सालाना 60,000 डॉलर तक वेतन पर काम करने को तैयार रहते हैं, जबकि अमेरिकी टेक कर्मचारी 100,000 डॉलर या उससे अधिक वेतन प्राप्त करते हैं.


भारत और अन्य देशों का योगदान

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत H-1B वीजा कार्यक्रम में सबसे आगे है। पिछले साल भारत को कुल अप्रूवल का 71% हिस्सा मिला, जबकि चीन का योगदान केवल 11.7% था। प्रमुख टेक कंपनियां जैसे अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, गूगल और टाटा कंसल्टेंसी इस प्रोग्राम पर भारी निर्भर रहती हैं.


आगे के संभावित कदम

अदालत में दायर मुकदमे के बाद नए आदेश की वैधता पर निर्णय आने तक नियोक्ता और कर्मचारी अस्थिर स्थिति में हैं। यदि अदालत प्रशासन के आदेश को रोक देती है, तो H-1B वीजा आवेदन पहले जैसी फीस संरचना के तहत जारी किए जा सकते हैं.