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H-1B वीजा शुल्क वृद्धि का भारतीय आईटी निर्यात पर प्रभाव

अमेरिका द्वारा H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि के कारण भारतीय आईटी निर्यात की गति में कमी आने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में आईटी सेवाओं के निर्यात की वृद्धि दर 4 प्रतिशत से कम रह सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर का विकास और नए मॉडल इस क्षेत्र की दिशा को निर्धारित करेंगे। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है।
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H-1B वीजा शुल्क वृद्धि का भारतीय आईटी निर्यात पर प्रभाव

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि का असर

H-1B वीजा शुल्क वृद्धि का भारतीय आईटी निर्यात पर प्रभाव 2025: अमेरिका द्वारा H-1B वीजा की फीस में वृद्धि के कारण भारतीय आईटी निर्यात की गति में कमी आ सकती है। इसका मतलब है कि अमेरिका में नौकरी करने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों को नौकरी मिलने की संभावनाएं घट सकती हैं।


एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में एच-1बी वीजा शुल्क में अचानक हुई भारी वृद्धि से भारतीय आईटी क्षेत्र को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। एमकेए ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में आईटी सेवाओं के निर्यात की वृद्धि दर 4 प्रतिशत से कम रह सकती है।



आईटी कंपनियों की दिशा तय करने वाले केंद्र


रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में भारतीय आईटी और सॉफ्टवेयर निर्यात का कुल आंकड़ा 1587 करोड़ से अधिक और शुद्ध निर्यात 1411 करोड़ से अधिक था। अगले पांच वर्षों के लिए 7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब यह लक्ष्य संकट में है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) का विकास और आईटी कंपनियों द्वारा अपनाए जा रहे नए मॉडल इस क्षेत्र की दिशा को निर्धारित करेंगे। वर्तमान में GCC पहले से ही 5731 अरब डॉलर से अधिक के सकल निर्यात में योगदान दे रहे हैं।