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IAS अधिकारी का विवादास्पद वीडियो: SDM रिंकू सिंह राही ने वकील को दी उठक-बैठक की सजा

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में SDM रिंकू सिंह राही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे एक वकील को सार्वजनिक रूप से उठक-बैठक की सजा देते हुए नजर आ रहे हैं। यह घटना तब हुई जब उन्होंने खुले में पेशाब करते हुए एक व्यक्ति को देखा। वकीलों के विरोध के बाद, राही ने मंच पर माफी मांगी और अपनी कार्रवाई का स्पष्टीकरण दिया। यह मामला अब प्रशासनिक व्यवहार और लोक शिष्टाचार पर बहस का विषय बन गया है।
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IAS अधिकारी का विवादास्पद वीडियो: SDM रिंकू सिंह राही ने वकील को दी उठक-बैठक की सजा

शाहजहांपुर में SDM का वायरल वीडियो

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के पुवायां तहसील में हाल ही में नियुक्त SDM रिंकू सिंह राही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। इस क्लिप में, IAS अधिकारी वकीलों की भीड़ के सामने कान पकड़कर सार्वजनिक रूप से उठक-बैठक करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह घटना उस दिन हुई जब उन्होंने अपना कार्यभार संभाला था।


घटना की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब SDM राही ने तहसील परिसर में एक व्यक्ति को खुले में पेशाब करते देखा। उस व्यक्ति की पहचान एक वकील के मुंशी के रूप में हुई। राही ने उसे सार्वजनिक स्थान पर शौच करने के लिए उठक-बैठक की सजा दी। यह घटना तेजी से फैल गई और बड़ी संख्या में वकील तहसील परिसर में इकट्ठा हो गए, जिन्होंने इस कार्रवाई को अपमानजनक बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।


SDM की माफी

विवाद बढ़ने पर SDM रिंकू सिंह राही स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे और मंच से कहा, "मैं इस तहसील का सबसे बड़ा अधिकारी हूं। अगर मेरी किसी बात से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं आप सबसे माफी मांगता हूं।" इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से पांच बार उठक-बैठक की। इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।


SDM का स्पष्टीकरण

हाथरस निवासी और दिव्यांग कोटे से 2022 बैच के IAS अधिकारी रिंकू सिंह राही ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने उसी दिन कार्यभार संभाला था और तहसील परिसर का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कुछ लोग खुले में शौच कर रहे थे और जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने शौचालय की गंदगी का हवाला दिया। राही ने यह भी कहा कि उन्होंने उन्हें समझाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से सजा दी थी ताकि भविष्य में वे ऐसा न करें। यह घटना अब प्रशासनिक व्यवहार, लोक शिष्टाचार और अधिकारों की सीमाओं को लेकर एक नई बहस को जन्म दे चुकी है.