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काशी तमिल संगमम की अन्तिम निशा में बनारस की छात्राओं ने गाया स्वागत वंदन गीत

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काशी तमिल संगमम की अन्तिम निशा में बनारस की छात्राओं ने गाया स्वागत वंदन गीत


काशी तमिल संगमम की अन्तिम निशा में बनारस की छात्राओं ने गाया स्वागत वंदन गीत


तमिल कलाकारों के गायन-वादन व नृत्य पर झूमें पर्यटक, ‘लाठी नृत्य’ लोगों को भाया

वाराणसी, 24 फरवरी (हि.स.)। काशी तमिल संगमम 3.0 के समापन समारोह में सोमवार शाम नमोघाट पर आयोजित सांस्कृतिक सन्ध्या के अन्तिम निशा में तमिल कलाकारों ने गायन, वादन व नृत्य में दमदार पारम्परिक प्रस्तुति देकर महफिल लूट ली। घाट के मुक्ताकाशी मंच पर तमिलनाडु की पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियां हुईं, जिसमें लाठी नृत्य लोगों को खूब भाया। शुरुआत में बनारस की छात्राओं के समूह ने स्वागत वंदन गीत गाया। इसके बाद थप्पत्तम, कुम्मी, कोलाट्टम, अम्मानट्टम एवं ग्रामिया कलाई अट्टम नृत्य तमिल कलाकारों ने प्रस्तुत किया।

थप्पत्तम नृत्य में कलाकार विशेष प्रकार के ड्रम (थप्पू) का प्रयोग करते हैं, जिसे मुख्य रूप से तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में उत्सवों और सामाजिक आयोजनों के दौरान प्रस्तुत किया जाता है। इसी तरह कुम्मी नृत्य में महिलाएं एक सर्कल में ताल मिलाकर ताली बजाते हुए गीत गाती हैं। जबकि कोलाट्टम, जिसे ‘लाठी नृत्य’ भी कहा जाता है, में नर्तक अपने हाथों में छोटी-छोटी लकड़ियां लेकर उन्हें एक-दूसरे से टकराते हुए नृत्य करते हैं, जिससे यह नृत्य टीम भावना और समन्वय का प्रतीक बन जाता है। अम्मानट्टम नृत्य देवी शक्ति की आराधना में किया जाता है, जिसमें नृत्यांगनाएं भक्ति भाव से देवी की स्तुति करती हैं, वहीं ग्रामिया कलाई अट्टम तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाने वाला लोक नृत्य है, जो वहां की संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली को प्रदर्शित करता है। इन रंगारंग प्रस्तुतियों से वाराणसी और तमिल संस्कृति के अद्वितीय मेल को जीवंत बनाया गया।

बताते चलें कि काशी तमिल संगमम 3.0 का आयोजन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने किया। इसमें भारत सरकार के कई मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार की भी अहम भूमिका रही। संयुक्त रूप से मिलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को चरितार्थ किया गया। यह कार्यक्रम दो राज्यों के संस्कृति एकता को जोड़ने के लिए अहम भूमिका निभा रहा है। कार्यक्रम में 10 दिनों में कुल 1200 की संख्या में आए डेलिगेट्स ने काशी के नमो घाट, हनुमान घाट, बाबा विश्वनाथ सहित अन्य मंदिरों में दर्शन पूजन किया और बीएचयू का भ्रमण करते हुए एकेडमिक कार्यक्रम का हिस्सा बने। कार्यक्रम के अंतर्गत सभी डेलीगेट महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे और वहां से फिर 500 साल बाद बन रहे अयोध्या में प्रभु राम लाल के मंदिर और उनके दर्शन करके आह्लादित नजर आए। अयोध्या में दर्शन के दौरान कुछ डेलिगेट्स के आंखों में आंसू भी दिखाई दिया और उन्होंने मंदिर में दान भी किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी