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भारत का हाइपरलूप सपना आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर और नए परीक्षण ट्रैक के साथ आगे बढ़ा

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भारत का हाइपरलूप सपना आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर और नए परीक्षण ट्रैक के साथ आगे बढ़ा


भारत का हाइपरलूप सपना आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर और नए परीक्षण ट्रैक के साथ आगे बढ़ा


- नई पीढ़ी का परिवहन : हाइपरलूप तकनीक भारत की यात्रा को बदलने के लिए तैयार - आईआईटी मद्रास में परीक्षण ट्रैक के लॉन्च के साथ भारत ने हाइपरलूप यात्रा की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया

नई दिल्ली, 25 फ़रवरी (हि.स.)। यदि हाइपरलूप परियोजनाएं, जो वर्तमान में परीक्षण के पूर्व चरण में हैं, वे वास्तविकता बन जाती हैं तो निकट भविष्य में देश में विभिन्न शहरों के बीच की यात्रा में लगने वाला समय कई गुना कम हो जाएगा। मिसाल के तौर पर दिल्ली से जयपुर की दूरी महज आधा घंटा में पूरी की जा सकेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने लगभग वैक्यूम की स्थिति में ट्रेन यात्रा को सक्षम करने के लिए 422 मीटर (करीब आधा किमी.) लंबा हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक विकसित किया है। इस पर 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा कर सकेंगे।

आईआईटी मद्रास ने भारतीय रेलवे के सहयोग से भारत की यह पहली हाइपरलूप तकनीक विकसित की है। यह एक भविष्य की परिवहन प्रणाली है, जो यात्रा में क्रांति लाने का वादा करती है। यह सरकार-अकादमिक भागीदारी नवाचार को बढ़ावा दे रही है और उच्च गति परिवहन में जो संभव है उसकी सीमाओं को आगे बढ़ा रही है। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने आईआईटी-मद्रास को 1 मिलियन डॉलर की एक और किस्त देने की घोषणा की है, जिसने भारत का पहला हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक विकसित किया है, जो लगभग वैक्यूम ट्यूब की स्थिति में ट्रेन यात्रा की अनुमति देगा।

आईआईटी मद्रास ने एशिया की पहली ग्लोबल हाइपरलूप प्रतियोगिता 2025 की मेज़बानी की, जो सफलता के साथ खत्म हुई। इस इवेंट ने नई और तेज़ यात्रा तकनीकों की प्रगति को दिखाया। यह भारत की हाइपरलूप विकास में भागीदारी को दिखाता है, जो एक ऐसी तकनीक है जिसका उद्देश्य तेज रफ्तार यात्रा का भविष्य बदलना है।

प्रतियोगिता में आईआईटी मद्रास में 422 मीटर लंबा हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक दिखाया गया। यह अत्याधुनिक सुविधा भारतीय रेलवे और आईआईटी मद्रास के बीच मजबूत साझेदारी का प्रतीक है और हाइपरलूप तकनीक के परीक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।

समापन समारोह में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो कॉल के जरिए जुड़कर सरकार की ओर से नवाचार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रतियोगिता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के तहत तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने और उद्योग व शिक्षा संस्थानों के बीच मजबूत साझेदारी बनाने का हिस्सा है।

प्रतियोगिता में कई पुरस्कार दिए गए, जिनमें बेस्ट डेमोंस्ट्रेशन टीम अवार्ड विशेष रूप से उल्लेखनीय था। अन्य पुरस्कारों में ब्रेकिंग और ट्रैक्शन सिस्टम डेमोंस्ट्रेशन और बेस्ट सब-सीस्टम (मैकेनिकल) के लिए टीमों को सम्मानित किया गया। रेल मंत्री ने प्रतियोगिता में भाग लेने वाले युवा नवप्रवर्तकों की सराहना की और कहा कि उनके काम से भारत की विज्ञान और इंजीनियरिंग में क्षमता बढ़ी है। यह हाइपरलूप जैसी नई तकनीकों को अपनाने में मदद करेगा।

रेल मंत्री ने भारत रेलवे और आईआईटी मद्रास के एक अन्य रोमांचक परियोजना, वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल) वाहन पर भी चर्चा की। यह परियोजना शहरों और गांवों में बेहतर और टिकाऊ परिवहन के लिए समाधान प्रदान करेगी। इस परियोजना को भारतीय रेलवे द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है।

हाइपरलूप तकनीक का भविष्य में महत्व:

यह प्रतियोगिता भारत की हाइपरलूप तकनीक में संभावनाओं को दिखाती है और देश के भविष्य के परिवहन नेटवर्क की योजना को दिखाती है। हाइपरलूप सिस्टम शहरों के बीच यात्रा के समय को बहुत कम कर सकते हैं और यह पारंपरिक रेल और हवाई यात्रा का विकल्प हो सकता है। हाइपरलूप में उच्च गति, कम दबाव वाले पॉड्स होते हैं जो 1,200 किमी प्रति घंटा की गति से यात्रा कर सकते हैं और प्रमुख शहरों को कुछ ही मिनटों में जोड़ सकते हैं।

आईआईटी मद्रास और भविष्य के परिवहन:

वैष्णव ने आईआईटी मद्रास की भूमिका पर भी जोर दिया, जो भारत के 5जी नेटवर्क की सफलता में महत्वपूर्ण था। इस साझेदारी से हाइपरलूप और अन्य भविष्य के परिवहन समाधान विकसित करने में तेजी आएगी।

परिवहन नवाचारों के लिए उज्ज्वल भविष्य:

हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक और चल रहे वीटीओएल परियोजना के साथ भारत अपनी यात्रा की शुरुआत कर रहा है। भारतीय रेलवे और आईआईटी मद्रास का सहयोग इन नवाचारों को वास्तविकता बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आने वाले वर्षों में भारत की परिवहन प्रणालियों में क्रांतिकारी बदलाव तेजी से होंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव