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प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मप्र को मिले 25 हजार 600 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव

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प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मप्र को मिले 25 हजार 600 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव


-एक लाख 83 हजार 400 रोजगार होंगे सृजित

भोपाल, 24 फरवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले दिन सोमवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शिखर सम्मेलन टेक इन्वेस्ट मध्य प्रदेश'' सत्र का आयोजन किया गया। शिखर सम्मेलन में विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कुल 25 हजार 640 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे लगभग एक लाख 83 हजार 400 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। यह जानकारी जनसम्पर्क अधिकारी सोनिया परिहार ने दी।

उन्होंने बताया कि आईटी और आईटीएस क्षेत्र में 5500 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ। इससे अनुमानित 93 हजार रोजगार सृजित होंगे। ईएसडीएम क्षेत्र में 14 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे लगभग 14 हजार रोजगार सृजित होंगे। डेटा सेंटर के लिये 6800 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिसमें 2900 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। जीसीसी में 700 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे 40 हजार 500 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। एबीजीसी-एक्सआर में 110 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिसमें 3000 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। ड्रोन सेक्टर में 180 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे लगभग 30 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

निवेश, उद्योग और व्यापार अब भोपाल की पहचान : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिखर सम्मेलन टेक इन्वेस्ट मध्य प्रदेश'' में आईटी और टेक क्षेत्र के उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का भोपाल में आयोजन हुआ है और इसका लाभ सभी क्षेत्रों को मिल रहा है। उन्होंने प्रदेश की राजधानी भोपाल की बदलती पहचान का ज़िक्र करते हुए कहा कि अब यहां की पहचान निवेश, उद्योग और व्यापार से हो रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आईटी एक अलग प्रकार की दुनिया है और इस क्षेत्र में निवेश और विस्तार की अनंत संभावनाएं हैं। बाकी राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश ने सबसे अच्छी पॉलिसी बनाई है। इन नीतियों का लाभ निवेशकों को मिलेगा। आईटी सेक्टर के विस्तार के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जिन जगहों पर आईटी के क्षेत्र में चुनौतियां आती थीं, आज वहां भी आईटी हब बन रहे हैं।

विभागीय शिखर सम्मेलन में भारत को अगली प्रौद्योगिकी महाशक्ति बनने के मध्य प्रदेश के दृष्टिकोण पर चर्चा की गई। विभिन्न संस्थाओं से निवेश प्रस्ताव प्राप्त किये एवं एमओयू साइन किये गये। सत्र में आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, ड्रोन, एवीजीसी-एक्सआर, डेटा सेंटर और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) के लिए मध्यप्रदेश को वैश्विक केंद्र पर आयोजित सत्रों में विभिन्न पेनालिस्ट ने अपने विचार साझा किये।

मध्य प्रदेश भारत की डिजिटल क्रांति में सबसे आगे

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने राज्य को आईटी क्षेत्र में अग्रणी बनाने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश भारत की डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है। मध्य प्रदेश लोक सेवाओं की गांरटी प्रदान करने वाला देश में पहला राज्य है। यहां भूमि के पंजीकरण एवं नामांतरण की व्यवस्था ऑनलाइन है। राष्ट्रीय सेवा वितरण मूल्यांकन 2025 में देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। देश का सबसे स्वच्छतम शहर इंदौर एवं स्वच्छतम राजधानी भोपाल स्थित है। यहा के टियर टू शहर राज्य की स्थिति को तकनीकी गंतव्य के रूप में मजबूत कर रहे है। उन्होंने भारत में जीसीसी इण्डस्ट्री के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने मध्य प्रदेश की जीसीसी नीति के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डाला।

एसीएस दुबे ने कहा कि राज्य ने प्रभावशाली आईटी, आईटीएस और ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति-2023, जीसीसी नीति-2025, एबीजीसी एक्सआर नीति-2025, ड्रोन प्रमोशन और उपयोग नीति 2025 और समीकंडक्टर नीति 2025 लांच की है। यह नीतियाँ वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने एवं राज्य में विकसित पारिस्थितिक तंत्र बनाने में सहयोग प्रदान कर रही है। नीतियों में कैपेक्स, भूमि और ब्याज छूट, प्लग-एंड-प्ले सुविधा आदि का प्रावधान किया गया है।

भारत को उत्पाद पॉवर हाउस बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये : डॉ. चौधरी

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, एचसीएल के सह-संस्थापक और पूर्व एमडी, ईपीआईसी फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि ने कहा कि डिजाइन केन्द्रों, स्टार्ट-अप्स, शिक्षाविदों और ग्लोबल मार्केटिंग को एकीकृत कर भारत को उत्पाद पॉवर हाउस बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये। हमें यह कोशिश करना चाहिये कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कम्पनी भारत में स्थापित हों। भारत को उत्पाद राष्ट्र बनाना चाहिये। मध्यप्रदेश में आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन क्षमता बढ़ाने की असीम संभावनाएँ हैं।

डॉ. चौधरी ने तकनीकी निवेश और दीर्घकालिक रणनीतियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अगले 20 वर्षों में भारत की कंपनियों को दुनिया की शीर्ष पांच कंपनियों में शामिल करने की दिशा में सोचना चाहिए। उन्होंने 'मेक इन इंडिया' पहल को और ज़्यादा सुदृढ़ करते हुए इसे 'डिज़ाइन एंड मेक इन इंडिया' में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सेमीकंडक्टर, ड्रोन और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों पर केंद्रित नीतियों को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में यदि भारत को वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अग्रणी बनाना है, तो प्रौद्योगिकी निर्माण में अधिक निवेश करना होगा।

शासकीय सेवाओं का लाभ प्रदान करने में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य : कृष्णन

टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा करते हुए सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार एस. कृष्णन ने कहा कि हमें डिजिटल टेक्नोलॉजी पर अधिक जोर देना जरूरी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था अब तकनीक के आधार पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले डिजिटल टेक्नोलॉजी का भारत की जीडीपी में योगदान मात्र 6-7 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 13 प्रतिशत हो गया है और वर्ष 2030 तक इसके 20प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज भारत में 90 प्रतिशत से अधिक मोबाइल फोन असेंबल किए जा रहे हैं, जिससे देश टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा भारत वर्ष 2047 तक विकसित देश बन जायेगा। विश्व की 70 प्रतिशत से अधिक डिजाइन कम्पनियाँ भारत में स्थापित हैं। हम डिजाइन के क्षेत्र में भारत को वैश्विक केन्द्र के रूप में स्थापित कर सकते हैं।

आईटी और एआई इंडस्ट्री में मध्य प्रदेश की भूमिका महत्वपूर्ण : वशिष्ठ

थोलॉन्स के प्रबंध निदेशक अविनाश वशिष्ठ ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की महत्वपूर्ण पहल के लिए सरकार और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इसे भारत की निवेश यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया। उन्होंने कहा कि आईटी और बीपीओ उद्योग में भारत हमेशा से आउटसोर्सिंग का प्रमुख केंद्र रहा है और कभी वैश्विक आउटसोर्सिंग का आधा हिस्सा अकेले भारत के पास था। अब एआई के क्षेत्र में भी भारत की भूमिका और अधिक सशक्त होने जा रही है। अगर हम सही तरीके से आगे बढ़े, तो मध्य प्रदेश और भारत दोनों ही वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी हब बन सकते हैं। वशिष्ठ ने उम्मीद जताई कि यह समिट आने वाले वर्षों में निवेश और तकनीकी क्षेत्र में मध्य प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सफल होगी।

प्रदेश की नीति देश के भविष्य को देगी आकारमप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक आशीष वशिष्ठ ने कहा कि प्रदेश की नीति और पहल से भारत के डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है। उन्होंने जीआईएस-2025 में टेक इन्वेस्ट मध्य प्रदेश'' के आयोजन को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिये निवेशकों, गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर