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Israel-Gaza संघर्ष: क्या हमास की शर्तें मानने पर गाजा बचेगा?

इजरायल के रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज़ ने हमास को चेतावनी दी है कि यदि वे इजरायल की शर्तें नहीं मानते हैं, तो गाजा शहर का विनाश हो सकता है। इस संघर्ष में अक्टूबर 2023 से अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं। काट्ज़ ने कहा कि गाजा सिटी और अन्य क्षेत्रों को पूरी तरह तबाह किया जा सकता है। हमास ने बंधकों की रिहाई के बदले स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की मांग की है। स्थिति गंभीर है और समझौते की संभावना कम नजर आती है।
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Israel-Gaza संघर्ष: क्या हमास की शर्तें मानने पर गाजा बचेगा?

इजरायल का कड़ा संदेश

Israel Gaza conflict: इजरायल के रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज़ ने शुक्रवार को एक गंभीर चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि यदि हमास इजरायल की शर्तों को नहीं मानता है, तो गाजा शहर का पूरी तरह विनाश हो सकता है। यह बयान उस समय आया है जब इजरायल अपनी सैन्य कार्रवाई को और तेज करने की योजना बना रहा है।


हमास के लिए गंभीर चेतावनी

हमास के सिर पर नरक के सारे द्वार खुल जाएंगे
काट्ज़ ने कहा कि "हमास के लिए नरक के द्वार खुल जाएंगे" और गाजा सिटी, राफाह और बीत हनुन जैसे क्षेत्रों को पूरी तरह से तबाह किया जा सकता है। ये क्षेत्र पहले से ही युद्ध के कारण बर्बाद हो चुके हैं।


बंधकों की रिहाई की शर्तें

सभी बंधकों को तुरंत रिहा किया जाए
इजरायल की शर्तों में सभी बंधकों की तात्कालिक रिहाई और हमास द्वारा हथियार डालने की मांग शामिल है। दूसरी ओर, हमास ने युद्ध समाप्ति के बदले बंधकों की रिहाई पर सहमति जताई है, लेकिन इसके लिए वह एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की मांग कर रहा है।


अक्टूबर 2023 का हमला

अक्टूबर 2023 के हमास के हमले का परिणाम
यह संघर्ष अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ, जब हमास ने इजरायल पर हमला किया। इस हमले में लगभग 1200 लोग मारे गए और 251 बंधक बनाए गए, जिनमें से अधिकांश को युद्ध विराम और अन्य समझौतों के तहत रिहा किया गया।


गाजा में तबाही का मंजर

गाजा में हुई भारी तबाही
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस युद्ध के आरंभ से अब तक कम से कम 62,192 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। मंत्रालय आतंकवादियों और नागरिकों के आंकड़ों को एक साथ प्रस्तुत करता है। इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष में गाजा सिटी की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गई है.

इजरायल के रक्षा मंत्री की चेतावनी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है, जिससे क्षेत्र में हिंसा और तबाही की आशंका बढ़ गई है। दोनों पक्षों की मांगों और शर्तों के बीच किसी समझौते की संभावना फिलहाल कम नजर आती है।