ISRO ने LVM3 के जरिए BlueBird Block 2 सैटेलाइट का सफल लॉन्च किया
भारत की अंतरिक्ष तकनीक में नई उपलब्धि
भारत ने एक बार फिर से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को अपने सबसे शक्तिशाली लॉन्च वाहन LVM3 के माध्यम से एक महत्वपूर्ण कमर्शियल सैटेलाइट BlueBird Block 2 को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। यह मिशन न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की वैश्विक स्पेस मार्केट में बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
लॉन्च का स्थान और समय
यह लॉन्च आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। इस मिशन का नाम LVM3 M6 रखा गया था। यह उड़ान अमेरिका की स्पेस कम्युनिकेशन कंपनी AST SpaceMobile के साथ हुए एक व्यावसायिक समझौते का हिस्सा थी। ISRO ने सैटेलाइट को निर्धारित कक्षा में सटीकता के साथ पहुंचाया।
BlueBird Block 2 सैटेलाइट की विशेषताएं
BlueBird Block 2 एक अगली पीढ़ी का संचार सैटेलाइट है, जिसे विशेष रूप से मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
- यह बिना मोबाइल टावर के सीधे स्मार्टफोन से कनेक्ट हो सकता है।
- दूरदराज और नेटवर्क से वंचित क्षेत्रों में कॉल और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करा सकता है।
- किसी अतिरिक्त हार्डवेयर या एंटीना की आवश्यकता नहीं होती।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक आपदा प्रबंधन, समुद्री संचार और ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।
LVM3 की ताकत
LVM3, जिसे पहले Gaganyaan Launch Vehicle के नाम से जाना जाता था, ISRO का सबसे विश्वसनीय भारी लिफ्ट रॉकेट है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
- कुल वजन लगभग 640 टन।
- ऊंचाई करीब 43.5 मीटर।
- 4,200 किलोग्राम तक का पेलोड GTO में ले जाने की क्षमता।
- इसमें सॉलिड, लिक्विड और क्रायोजेनिक तीनों प्रकार के इंजन शामिल हैं।
इसी कारण ISRO भारी और जटिल मिशनों के लिए LVM3 पर भरोसा करता है।
LVM3 के ऐतिहासिक मिशन
LVM3 पहले भी कई महत्वपूर्ण मिशनों का हिस्सा रह चुका है, जैसे:
- चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3।
- प्रस्तावित गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन।
- LVM3 M5 CMS 03 मिशन, जो नवंबर 2025 में सफल रहा।
इन मिशनों ने LVM3 को भारत के स्पेस प्रोग्राम की रीढ़ बना दिया है।
भारत के लिए इस मिशन का महत्व
स्पेस पॉलिसी विश्लेषकों का मानना है कि यह लॉन्च तीन स्तरों पर महत्वपूर्ण है:
- भारत की कमर्शियल लॉन्च क्षमता पर वैश्विक भरोसा बढ़ा।
- ISRO को विदेशी सैटेलाइट लॉन्च से राजस्व मिला।
- भारत की छवि एक विश्वसनीय स्पेस पार्टनर के रूप में मजबूत हुई।
आने वाले समय में ISRO को ऐसे और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर मिलने की संभावना है।
भविष्य की योजनाएं
ISRO अब LVM3 को और उन्नत बनाने पर काम कर रहा है, ताकि भविष्य के मानव मिशन और भारी स्पेस स्टेशन मॉड्यूल भी लॉन्च किए जा सकें। इसके साथ ही, निजी स्पेस कंपनियों के साथ साझेदारी बढ़ाने की रणनीति भी तेज हो रही है।
