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‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस ने 26 राज्यों के 50,000 गांवों में जगाई अलख, लोगों को दिलाई बाल विवाह के खिलाफ शपथ

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‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस ने 26 राज्यों के 50,000 गांवों में जगाई अलख, लोगों को दिलाई बाल विवाह के खिलाफ शपथ


नई दिल्ली, 28 नवंबर (हि.स.)। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के आह्वान पर गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जेआरसी) एलायंस के सहयोगी संगठनों की ओर से देश के 26 राज्यों के 50,000 गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरुकता व शपथग्रहण कार्यक्रम आयोजित किए गए। देश के 416 जिलों में हुए इन कार्यक्रमों में स्कूली छात्रों के साथ कदमताल करते लाखों आम लोग ढोल-नगाड़ों के साथ मशाल लिए सड़कों पर उतरे और इस अभियान को समर्थन देते हुए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के निर्माण की शपथ ली। एक सामाजिक उद्देश्य के लिए एकजुटता के अभूतपूर्व प्रदर्शन में पूरे दिन जागरूकता कार्यक्रमों के दौरान जनता ने बढ़-चढ़ कर प्रभात फेरियों, केंडल मार्च, मशाल जुलूस और बाल विवाह के खिलाफ शपथग्रहण कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की। पुलिस थानों, अदालतों, पंचायतों, धार्मिक नेताओं, स्कूली बच्चों, शिक्षकों, हलवाइयों और बाल विवाह पीड़ितों ने देश से बाल विवाह के खात्मे में सक्रिय भूमिका निभाने और कहीं भी इसकी जानकारी मिलने पर संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देने की शपथ ली।

इस राष्ट्रव्यापी अभियान की सराहना करते हुए ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस के संस्थापक व बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु ने देश से बाल विवाह के खात्मे के सरकार के इस प्रयास को पूरी तरह सफल बनाने के लिए हरसंभव सहयोग का वादा किया। उन्होंने कहा कि बाल विवाह को इस देश से जड़मूल से मिटाने के लिए एलायंस इस दुष्कर और चुनौतीपूर्ण पथ पर चल रहे उन हजारों महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के अटल संकल्प का हृदय से आभारी है। करोड़ों माताओं और बच्चियों की पीड़ा और विषम परिस्थितियों से जूझने की उनकी इच्छाशक्ति के साथ ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ के हमारे 250 से भी ज्यादा संगठनों के सहकर्मियों के अनथक देशव्यापी प्रयासों से आज हम इस ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचे हैं। उन्होंने राज्य सरकारों से उम्मीद करते हुए कहा कि वह सभी हितधारकों के साथ साझेदारियों का लाभ उठाते हुए बचाव, सुरक्षा और अभियोजन की एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देगी जो लोगों के व्यवहार में स्थायी बदलाव लाने में सहायक होगा।

उन्होंने कहा कि

हालांकि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएम) 2006 के अनुसार बाल विवाह गैरकानूनी है और इसकी रोकथाम के उद्देश्य से बच्चियों की सुरक्षा व सशक्तीकरण के लिए बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं, इसके बावजूद देश में अभी भी बाल विवाह की स्थिति चिंताजनक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 (एनएचएफएस-2019-21 ) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 20 से 24 आयुवर्ग के बीच की 23.3 प्रतिशत युवतियों का बाल विवाह हुआ था यानी वे 18 साल की होने से पहले ही ब्याह दी गई थीं। पश्चिम बंगाल (41.6 प्रतिशत ), बिहार (40.8 प्रतिशत), त्रिपुरा (40.1 प्रतिशत), झारखंड (32.2 प्रतिशत) और असम (31.8 ्रप्रतिशत) बाल विवाह की दर के मामले में देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि

‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत 27 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने की थी। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने देशभर की पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। यह शपथग्रहण अभियान 10 दिसंबर तक चलेगा और इस दौरान शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है। इस मौके पर बाल विवाह की सूचना व शिकायतों के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी शुरू किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी