Kishtwar में बादल फटने की त्रासदी में चमत्कार: लंगर चलाने वाले की 30 घंटे बाद बची जान

Kishtwar में बादल फटने की घटना
Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के घने जंगलों में स्थित चिशोती गांव में बादल फटने की घटना ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। माता मचैल के भक्तों के लिए लंगर चलाने वाले सुभाष चंद्रा को 30 घंटे तक मलबे में दबे रहने के बाद सुरक्षित निकाला गया। स्थानीय डोगरी कहावत, "जिसे माता मचैल बचाए, उसे कोई नहीं मार सकता" इस घटना में सच साबित हुई।
सुभाष का लंगर सेवा का कार्य
उदयपुर के निवासी सुभाष चंद्रा वर्षों से माता मचैल के तीर्थयात्रियों की सेवा में लगे हुए हैं। हर साल वह अपने साथियों के साथ लंगर लगाकर हजारों यात्रियों को भोजन प्रदान करते हैं। 14 अगस्त को जब बादल फटने से बाढ़ आई, तब सुभाष मलबे में दब गए। राहत और बचाव कार्य की निगरानी कर रहे विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा, “जिसे भगवान बचाता है, उसे कोई नहीं मार सकता। सुभाष, जो वर्षों से निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं, उन्हें माता ने स्वयं बचाया।”
STORY | 'Miracle' in Chishoti: Man running langar rescued alive after 30 hours under debris
— Press Trust of India (@PTI_News) August 16, 2025
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पहली बार जीवित बचने की घटना
सेना, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवकों की टीमें शुक्रवार को मलबे को हटाने में जुटी थीं, जब सुभाष को जीवित पाया गया। एक सेना अधिकारी ने कहा, “यह पहली बार है जब इस ऑपरेशन में कोई जीवित बचा है। यह किसी आशीर्वाद से कम नहीं है।” सुभाष के आसपास चार शव भी मिले। शनिवार को चार और लोगों को जीवित निकाला गया, जिससे और लोगों के बचने की उम्मीद जगी।
आपदा में जानें गईं
14 अगस्त को दोपहर 12:25 बजे चिशोती में बादल फटने से भयंकर तबाही हुई। इस आपदा में 60 लोगों की जान गई, 82 लोग लापता हैं, और 100 से अधिक घायल हुए। मलबे से सुरक्षित निकाले गए सुभाष को किश्तवाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां मामूली चोटों के इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। सुनील शर्मा ने कहा, “सुभाष फिर से लंगर लगाकर माता के भक्तों की सेवा करेंगे। माता ने उन्हें जीवन का सबसे बड़ा उपहार दिया है।” स्थानीय लोगों ने इसे दैवीय कृपा बताया।