नेपाल के लिए भी महाकुम्भ का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भारत जैसा : सुनील कुमार यादव
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नेपाल के मधेश प्रदेश के अर्थ मंत्री ने किया संगम स्नान, शंकराचार्य से प्राप्त किया आशीर्वाद
महाकुम्भ नगर, 23 फरवरी (हि.स.)। भारत और नेपाल की सांस्कृतिक विरासत एक है। हम दोनों ही सनातन धर्मी हैं और गाय को माता मानते हैं। जिस प्रकार भारत के सनातन धर्मियों के लिए महाकुम्भ का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है, उसी प्रकार नेपाल के लिए भी। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ दोनों देशों के बीच आज आध्यात्मिक सेतु बन चुके हैं। उक्त उद्गार नेपाल के मधेश प्रदेश के अर्थ मंत्री सुनील कुमार यादव ने महाकुम्भ में संगम स्नान के बाद शंकराचार्य शिविर में व्यक्त किये।
महाकुम्भ नगर के सेक्टर 18 स्थित हर्षवर्धन मार्ग पर गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य शिविर में नेपाल के मधेश प्रदेश के अर्थ मंत्री सुनील कुमार यादव ने नेपाली कांग्रेस के एक प्रतिनिेधि मंडल के साथ महायज्ञ में आहुतियां दीं। उन्होंने आदि शंकराचार्य के चरण पादुका की पूजा अर्चना की और शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महाकुम्भ की भव्य व्यवस्था देखकर वे आश्चर्यचकित हैं। यह सभी सनातन धर्मियों के लिये गर्व का विषय है। वहीं शंकराचार्य शिविर के आध्यात्मिक वातावरण में उन्हें शांति का अनुभव हो रहा है। उन्होंने शंकराचार्य को नेपाल आने का आमंत्रण भी दिया।
श्री यादव ने कहा कि नेपाल की 80 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है। भारत और नेपाल के बीच सदियों से रोटी और बेटी का संबंध है। यह हमारा अपना घर जैसा ही है। इन संबंधों में इस बात पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि वहां किसका शासन है। राजशाही के दौर में भी भारत के लोगों के साथ हमारा भाई जैसा संबंध था। आज लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी वही संबंध है। नेपाल तेजी से विकास कर रहा है, इसमें भारत की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि नेपाल के लाखों लोग भी महाकुंभ में आये और संगम के पवित्र जल में स्नान कर पुण्य अर्जित किया।
इस अवसर पर कमला बचाओ अभियान के संयोजक विक्रम यादव, नेपाली कांग्रेस के मुख्य सचिव संतू प्रसाद, नेपाल के प्रमुख उद्योगपति अरुण कुमार आदि भी उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल