कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी मंदिर सरकार के नियंत्रण से मुक्त हों : शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती
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धर्म के बिना जनता का कल्याण नहीं हो सकता : शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती
महाकुम्भनगर, 23 फरवरी (हि.स.)। कांची कामकोटि पीठ के पीठाधिपति जगद्गुरू शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती रविवार को महाकुम्भ पहुंचकर अपने शिष्यों के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद गंगा पूजन और दुग्धाभिषेक किया। इसके बाद वह महाकुम्भ स्थित श्री कांची कामकोटि पीठ के शिविर में पहुंचे। इस अवसर पर जगद्गुरू शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि सनातन संस्कृति विश्व की आदर्श संस्कृति है। इस संस्कृति को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का काम सरकार, समाज और मठ मंदिरों के द्वारा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कुम्भ राष्ट्र को दिशा देता है। चाहे श्रीराम मंदिर के निर्माण का अभियान हो या देश में सनातन धर्म को शक्ति देने वाली सरकार हो, कुम्भ राष्ट्र को मार्ग दिखाता है। इस बार के कुम्भ में मंदिरों की मुक्ति की बात उठी है। इसलिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी मंदिर सरकार के नियंत्रण से मुक्त होने चाहिए। उनका प्रबंधन हिन्दुओं के हाथों में होना चाहिए। मंदिरों के द्वारा भक्ति व श्रद्धा का प्रचार घर-घर तक पहुंचाने का काम होना चाहिए।
प्रजा के हित के लिए धर्म संरक्षण बहुत जरूरी-शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि देश की प्रगति हो रही है और भी होनी है। जनता का भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक उन्नति होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा प्रजा के हित के लिए धर्म संरक्षण बहुत जरूरी है। धर्म के बिना जनता का कल्याण नहीं हो सकता। धर्म के लिए विश्ववास के लिए कानून के सहयोग की जरूरत है। कानून के लिए सरकार की जरूरत है। सरकार के द्वारा सनातन धर्म संस्कृति के लिए मठ मंदिरों के द्वारा जो भी धर्म प्रचार करना है उसका साथ देने से अपने देश में भौतिक विकास भी होगा और मानवता का भी विकास होगा और शांति भी होगी। सब लोग मैत्री और सद्भावना से रहेंगे। इसलिए शांति के लिए सबसे जरूरी है धर्माचरण। धर्माचरण के लिए नीति बनाने में निधि बनाने में सरकार का योगदान अत्यंत जरूरी है। अपने देश का विकास विश्व शांति के लिए होगा। शंकराचार्य ने कहा कि भारत का कल्याण धर्माचरण से होगा। यह महाकुंभ का आयोजन इसका उदाहरण है। आस्था जनता के मन में है। आस्था की मजबूती के लिए संस्था और व्यवस्था की जरूरत है। भारत की जनता में मंदिर, गाय, वेद पुराण, शास्त्र के बारे में सदाचार के बारे में सभ्यता व संस्कृति के बारे में आस्था है उसको संरक्षण के लिए सुरक्षा का एक जरूरत है।
महाकुम्भ में भगवान के विश्वरूप का दर्शन हो रहाशंकराचार्य ने महाकुम्भ को एकता का कुम्भ बताते हुए इसे अद्वैत कुम्भ कहा। कहा कि महाकुम्भ में भगवान के विश्वरूप का दर्शन हो रहा है। विश्व के अनेक देशों से श्रद्धालु यहां आये हैं। वहीं भारत के सभी राज्यों चाहे पूर्वाेत्तर भारत हो दक्षिण भारत के राज्य बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकुम्भ में आये। आदि शंकराचार्य ने पदयात्रा के माध्यम से भारत में मैत्री एकता के लिए पीठों की स्थापना और धर्म प्रचार किया था, वह उद्देश्य महाकुम्भ के द्वारा पूरा हुआ है। सरकार व प्रजा के सहयोग से संपन्न महाकुम्भ से चैतन्य व स्फूर्ति मिली है।
शंकराचार्य ने की महाकुम्भ की सराहनाशंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती ने महाकुम्भ की व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि महाकुम्भ चलाने का योग, योगी को प्राप्त हुआ है। योगी जब सांसद बने थे तब से उन्हें हम देख रहे हैं। योगी आदित्यनाथ में वायुवेग के समान गतिशीलता है। गायों के संरक्षण में गोरक्षपीठ की अग्रणी भूमिका रही है। नेपाल के पशुपतिनाथ और गोरक्षपीठ का संबंध है।
शंकराचार्य शंकर विजयेन्द्र सरस्वती जी ने महाकुम्भ की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन सरकार और जनता की सहभागिता का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति ही विश्व की आदर्श संस्कृति है और महाकुम्भ इसका जीवंत प्रमाण है। शंकराचार्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस बात के लिए भी सराहना की कि प्रयागराज के प्राचीन नाम को उन्होंने दोबारा स्थापित किया। इस शताब्दी के महाकुंभ 2025 के आयोजन आयोजन का मौका योगी को मिला है।
जगद्गुरू संतोषाचार्य महाराज ‘सतुआ बाबा ने कहा कि जगद्गुरू शंकराचार्य श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती का महाकुम्भ में आगमन ही महाकुम्भ की सफलता है। भव्य दिव्य प्रयागराज महाकुंभ ने सनातन का इतिहास रचा है। शंकराचार्य ने शंकर विमान मण्डपम मंदिर भी पहुंचकर दर्शन किया। इस अवसर पर श्री शंकरपुर पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्रीकृष्णानंद तीर्थ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महामंडलेश्वर संतोषाचार्य जी महाराज ‘सतुआ बाबा’ व कांची कामकोटि पीठ के प्रतिनिधि वी.एस.सुब्रमण्यम मणि सहित बड़ी संख्या में संतगण व भक्त उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन