Maharashtra में Meat Shops पर बैन: अजित पवार का विरोध और अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास

महाराष्ट्र में मीट दुकानों पर बैन का विवाद
Maharashtra Meat Shops Ban: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ नगर पालिकाओं द्वारा मीट की दुकानों और बूचड़खानों को बंद करने के आदेश ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। हालांकि, उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार इस आदेश के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आदेशों का कोई औचित्य नहीं है और व्यापारियों पर कार्रवाई करने का अधिकार निजी व्यक्तियों को नहीं होना चाहिए।
अजित पवार का सेकुलर रुख
अजित पवार का यह रुख महायुति में रहते हुए भी उनकी 'सेकुलर' छवि को मजबूत करता है। हाल ही में उन्होंने कुरैशी समुदाय से मुलाकात की थी और गौरक्षकों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत की थी। इसके बाद, महाराष्ट्र पुलिस ने आदेश जारी किया कि अवैध पशु परिवहन के खिलाफ केवल पुलिस या अधिकृत अधिकारी ही कार्रवाई कर सकते हैं।
महायुति गठबंधन में मुस्लिम विधायकों की स्थिति
महायुति गठबंधन में तीन मुस्लिम विधायकों में से दो एनसीपी के हैं। अजित पवार के कई प्रमुख सहयोगी ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां मुस्लिम वोट महत्वपूर्ण हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार का कड़ा रुख उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
अल्पसंख्यक समुदाय को भरोसा दिलाते अजित पवार
इस साल की शुरुआत में, अजित पवार ने अल्पसंख्यक समुदाय को आश्वासन दिया कि जब तक वह सरकार में हैं, किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए समुदाय में भय पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
मांस दुकानों की बंदी पर अजित पवार की आपत्ति
अजित पवार ने स्वतंत्रता दिवस पर मांस की दुकानों को बंद करने के आदेश का विरोध किया। उन्होंने कहा कि धार्मिक अवसरों पर जनता की भावनाओं का सम्मान करना आवश्यक है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसरों पर मांस पर प्रतिबंध का कोई औचित्य नहीं है।
बीजेपी का रुख और नगर निगमों की स्थिति
नगर निगमों ने स्वतंत्रता दिवस पर मांस दुकानों को बंद करने के आदेश को वापस नहीं लिया है। बीजेपी ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि ऐसे निर्देश 1988 से जारी हैं। एनसीपी के विधायक संग्राम जगताप की भड़काऊ टिप्पणियों ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।