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विश्व एड्स दिवस का मुख्य कार्यक्रम रविवार को इंदौर में, केन्द्रीय मंत्री नड्डा होंगे मुख्य अतिथि

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विश्व एड्स दिवस का मुख्य कार्यक्रम रविवार को इंदौर में, केन्द्रीय मंत्री नड्डा होंगे मुख्य अतिथि


इंदौर, 30 नवंबर (हि.स.)। एक दिसंबर 2024 को देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के प्रतिष्ठित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सभागार में विश्व एड्स दिवस 2024 का मुख्य कार्यक्रम होगा। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस कार्यक्रम की तैयारियों के साथ मध्य प्रदेश एचआईवी-एड्स के खिलाफ भारत के प्रयासों में केंद्रीय भूमिका निभाने को तैयार है। इसमें केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा मुख्य अतिथि होंगे जबकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

प्रेस इन्फरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने शनिवार को जारी विज्ञप्ति में बताया कि विश्व एड्स दिवस, 1988 से प्रति वर्ष 01 दिसंबर को मनाया जाता है। यह एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस)/एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए लोगों को एकजुट करने तथा महामारी के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है। यह सरकारों, संगठनों और समुदायों के लिए इस रोग की वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डालने तथा इसके रोकथाम, उपचार एवं देखभाल में की गई प्रगति को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

इस दिन को वैश्विक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अवलोकनों में से एक के रूप में मान्यता प्रदान की गई है, जो न केवल जागरूकता फैलाता है बल्कि उन लोगों को भी याद भी करता है जिनकी मौत एचआईवी/एड्स के कारण हुई है। यह स्वास्थ्य सेवाओं तक विस्तारित पहुंच जैसे मील के पत्थर का भी उत्सव मनाता है। एचआईवी जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के बारे में ज्ञान को बढ़ावा देकर, विश्व एड्स दिवस एचआईवी से लड़ने तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एवं स्वास्थ्य अधिकार प्राप्त करने के बीच के अभिन्न संबंधों पर प्रकाश डालता है।

2024 का विषय: सही रास्ता अपनाएं: मेरी सेहत, मेरा अधिकार!विश्व एड्स दिवस 2024 का विषय, सही रास्ता अपनाएं: मेरी स्वास्थ्य, मेरा अधिकार! है, जो स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और लोगों को अपने स्वास्थ्य प्रबंधन में सशक्त बनने के महत्व पर बल देता है। यह उन प्रणालीगत असमानताओं को संबोधित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है जो कमजोर आबादी को एचआईवी के आवश्यक रोकथाम एवं उपचार सेवाएं प्राप्त करने से वंचित करती है। वर्ष 2024 का विषय मानवाधिकारों की भूमिका को उजागर करता है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी लोगों को, उनकी पृष्ठभूमि या परिस्थितियों पर ध्यान दिए बिना, स्वास्थ्य अधिकार प्राप्त हो सके। अधिकार-आधारित दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करके, 2024 का अभियान समावेशिता को बढ़ावा देने, कलंक को कम करने और एचआईवी/एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करने की कोशिश करता है।

एचआईवी/एड्स की वर्तमान स्थिति: एक वैश्विक एवं राष्ट्रीय दृष्टिकोण-एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (यूएनएड्स) द्वारा जारी वैश्विक एड्स अपडेट 2023 के अनुसार, वैश्विक स्तर पर एचआईवी/एड्स से लड़ने में महत्वपूर्ण प्रगति प्राप्त की गई है। भारत जैसे देशों में नए एचआईवी संक्रमण मामलों में कमी आई है, जहां एक मजबूत कानूनी संरचना और बढ़े हुई वित्तीय निवेशों ने 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य की प्राप्ति करने की दिशा में प्रगति की है। विशेष रूप से, भारत की पहचान कमजोर आबादी के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कानूनों को मजबूत बनाने के रूप हुई है।

राष्ट्रीय स्तर पर, भारत एचआईवी अनुमान 2023 रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में 25 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। इसके बावजूद, देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें वयस्क एचआईवी प्रसार 0.2% दर्ज किया गया है और अनुमान है कि वार्षिक रूप से नए एचआईवी संक्रमणों की संख्या 66,400 है, जिसमें 2010 के बाद से 44% की कमी आयी है। भारत ने 39% की वैश्विक कमी दर को पीछे छोड़ दिया है, जो निरंतर किए गए मध्यवर्तनों की सफलता को दर्शाता है। 16.06 लाख एचआईवी (पीएलएचआईवी) से पीड़ित लोगों के लिए 725 एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी) केंद्रों के माध्यम से मुफ्त उच्च गुणवत्ता वाले आजीवन उपचार की उपलब्धता (जून 2023 के अनुसार) और 2022-2023 में किए गए 12.30 लाख वायरल परीक्षण भारत द्वारा प्रभावित जनसंख्या के लिए देखभाल सुविधा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

भारत की एचआईवी/एड्स महामारी पर प्रतिक्रिया: एक व्यापक दृष्टिकोण-भारत में एचआईवी/एड्स महामारी के खिलाफ लड़ाई 1985 में शुरू हुई। इसे विभिन्न जनसंख्या समूहों एवं भौगोलिक स्थानों में वायरस का पता लगाने के लिए सीरो-सर्वेक्षण के साथ शुरू किया गया। अभियान का प्रारंभिक चरण (1985-1991) एचआईवी मामलों की पहचान, ट्रांसफ्यूजन से पहले रक्त सुरक्षा सुनिश्चित करना और लक्षित जागरूकता उत्पन्न करने पर केंद्रित था। इस अभियान में 1992 में राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) की शुरूआत के साथ तेजी आई। यह देश में एचआईवी/एड्स से निपटने के लिए एक व्यवस्थित एवं व्यापक दृष्टिकोण की शुरुआत थी। 35 वर्षों में, एनएसीपी विश्व के सबसे बड़े एचआईवी/एड्स नियंत्रण कार्यक्रमों में से एक बन चुका है।

कार्यक्रम में एक अभिनव प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा जिसमें राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा अपनाए गए डिजिटल इको सिस्टम, सामुदायिक जुड़ाव, अभियान-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से हासिल की गई उपलब्धियां और लाभार्थियों द्वारा बनाई गई हस्त निर्मित वस्तुओं की विविधता जैसे कार्यक्रम से संबंधित प्रमुख घटकों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा इस कार्यक्रम में नाको के थीम गीत को जारी किया जाएगा, जिसका लंबे समय से इंतजार है। इसके मूल गायक देव नेगी, मोको कोज़ा और एग्सी द्वारा लाइव प्रदर्शन के माध्यम से इसे जीवंत जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर