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NASA और ISRO का संयुक्त मिशन 'निसार' कल होगा लॉन्च

NASA और ISRO का संयुक्त मिशन 'निसार' 30 जुलाई को लॉन्च होने जा रहा है। यह दुनिया का पहला डबल फ्रीक्वेंसी रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो धरती की सतह और पर्यावरणीय परिवर्तनों की उच्च रिजॉल्यूशन में निगरानी करेगा। इस मिशन का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं की पहचान और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में मदद करना है। जानें इस मिशन की विशेषताएँ और इसके महत्व के बारे में।
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NASA और ISRO का संयुक्त मिशन 'निसार' कल होगा लॉन्च

निसार मिशन का परिचय

निसार मिशन का विवरण: अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO का संयुक्त मिशन 'निसार' 30 जुलाई को लॉन्च होने जा रहा है। यह मिशन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षिप्त किया जाएगा। पहले इसे 2024 में लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन 12-मीटर एंटीना में खराबी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।


मिशन की अवधि और लागत

यह सैटेलाइट 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा। इसकी कार्यकाल तीन साल का होगा और इसका वजन 2392 से 2800 किलोग्राम के बीच है। इस मिशन पर कुल 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 13000 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं, जिससे यह दुनिया का सबसे महंगा अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट बन गया है। ISRO ने इस परियोजना में 788 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसमें सैटेलाइट बस, एस-बैंड रडार, लॉन्च व्हीकल और अन्य सेवाएं शामिल हैं। NASA ने इसमें एल-बैंड रडार, GPS रिसीवर, उच्च गति संचार प्रणाली और ठोस-राज्य रिकॉर्डर जोड़े हैं।


मिशन का उद्देश्य

'निसार' मिशन दुनिया का पहला डबल फ्रीक्वेंसी (एल-बैंड और एस-बैंड) रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो पृथ्वी की निगरानी करेगा। यह धरती की सतह और पर्यावरणीय परिवर्तनों की उच्च रिजॉल्यूशन (5-10 मीटर) में निगरानी करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह का मानचित्रण करना है, जिसमें हर 12 दिन में विस्तृत नक्शा तैयार करना शामिल है।


यह प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करेगा, जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन, और इनसे संबंधित जोखिमों का आकलन करेगा। इसके अलावा, यह पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन करेगा, जिसमें वनस्पति बायोमास, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना और कार्बन चक्र शामिल हैं। कृषि और संसाधन प्रबंधन के तहत, यह मिट्टी की नमी, फसल वृद्धि और भूजल की जानकारी प्रदान करेगा।


सैटेलाइट की विशेषताएँ

इस सैटेलाइट में डबल रडार सिस्टम है। NASA का एल-बैंड रडार धरती की गहराई वाली सतह (जंगल, बर्फ, मिट्टी) का अध्ययन करेगा, जबकि ISRO का एस-बैंड रडार सतही संरचनाओं (फसल, मिट्टी की दरारें) का विश्लेषण करेगा। 12 मीटर का एंटीना उच्च रिजॉल्यूशन इमेजिंग के लिए है, जो 240 किलोमीटर दूर तक की तस्वीरें खींच सकता है। सैटेलाइट का डेटा सामान्यतः 2 दिन में सार्वजनिक किया जाएगा, लेकिन आपातकालीन स्थितियों में यह कुछ घंटों में उपलब्ध होगा। इसके अलावा, यह हर 6 दिन में नए नमूने लेकर अपडेट जानकारी भी प्रदान करेगा।


निसार मिशन का महत्व

ISRO और NASA का 'निसार' मिशन आपदा प्रबंधन में एक नई क्रांति लाएगा। यह जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में सहायक होगा और वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान देगा। भारत और अमेरिका के इस संयुक्त स्पेस मिशन से क्षेत्र में विकास के नए आयाम खुलेंगे। इस मिशन के तहत एकत्रित डेटा विश्वभर के शोधकर्ताओं के लिए मुफ्त में उपलब्ध होगा, जिससे भारत की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। यह सैटेलाइट विशेष रूप से धरती के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी करेगा और विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा।