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NCERT पाठ्यपुस्तकों में ऐतिहासिक तथ्यों का विवाद: क्या है असली कहानी?

एनसीईआरटी द्वारा जारी की गई नई पाठ्यपुस्तकों में ऐतिहासिक तथ्यों के विकृतिकरण का विवाद गहराता जा रहा है। विद्वानों और नेताओं ने इन पुस्तकों में क्षेत्रीय इतिहास की अनदेखी पर आपत्ति जताई है। एनसीईआरटी ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जो इन फीडबैक की समीक्षा करेगी। जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और क्या हैं प्रमुख मुद्दे।
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NCERT पाठ्यपुस्तकों में ऐतिहासिक तथ्यों का विवाद: क्या है असली कहानी?

एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों पर विवाद

NCERT पाठ्यपुस्तक विवाद: हाल ही में एनसीईआरटी द्वारा कक्षा 1 से 8 के लिए जारी की गई नई पाठ्यपुस्तकों ने विवाद को जन्म दिया है। कई विद्वानों, राजनीतिक नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इन पुस्तकों में ऐतिहासिक तथ्यों के कथित विकृतिकरण और क्षेत्रीय इतिहास की अनदेखी पर कड़ी आपत्ति जताई है। इसी संदर्भ में, 7 अगस्त को एनसीईआरटी ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो इन फीडबैक की समीक्षा कर उचित सिफारिशें करेगी।


इस समिति की अध्यक्षता एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम अध्ययन और विकास विभाग की प्रमुख प्रोफेसर रंजन अरोड़ा करेंगी। समिति विशेष रूप से उन मुद्दों की जांच करेगी, जिनमें जैसलमेर, अहोम और पाइका विद्रोह से संबंधित इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने या हटाने के आरोप लगे हैं।


जैसलमेर, अहोम और पाइका विद्रोह पर विवाद

जैसलमेर, अहोम और पाइका विद्रोह पर विवाद


यह विवाद तब शुरू हुआ जब कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में जैसलमेर राज्य को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया। जैसलमेर के पूर्व शाही परिवार के वंशज चैतन्य राज सिंह ने इस विवरण को इतिहास के साथ गंभीर छेड़छाड़ करार दिया। उन्होंने इसे भ्रामक और एजेंडा-चालित बताते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से हस्तक्षेप की मांग की।


इतिहास में छेड़छाड़ के आरोप केवल जैसलमेर तक सीमित नहीं हैं। असम के अहोम साम्राज्य के चित्रण पर भी सवाल उठाए गए हैं, जबकि ओडिशा के 1817 के पाइका विद्रोह को पाठ्यपुस्तकों से हटाने पर राज्यभर में विरोध प्रदर्शन हुए। पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसे ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत के साथ अन्याय बताया।


दक्षिण भारतीय राजवंशों की उपेक्षा

दक्षिण भारतीय राजवंशों की उपेक्षा पर उठे सवाल


केवल उत्तर और पूर्व भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारत से भी सवाल उठाए गए हैं। अभिनेता आर. माधवन ने एनसीईआरटी की नई पुस्तकों में मुगल और ब्रिटिश शासन को प्राथमिकता देने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि चोल, पांड्य, पल्लव और चेरा जैसे महान दक्षिण भारतीय राजवंशों को हमेशा हाशिए पर रखा गया है, जो एक गंभीर ऐतिहासिक अन्याय है।


एनसीईआरटी की सफाई

एनसीईआरटी की सफाई और आश्वासन


एनसीईआरटी ने अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि कक्षा 1 से 8 तक की नई पुस्तकें चरणबद्ध तरीके से जारी की जा रही हैं और कक्षा 9 से 12 की पुस्तकें साल के अंत तक प्रकाशित होंगी। उन्होंने कहा कि जब भी किसी पुस्तक की सामग्री पर व्यापक प्रतिक्रिया मिलती है, तो एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाती है जो उस पर गंभीर विचार कर उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है। एनसीईआरटी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया नियमित अभ्यास का हिस्सा है और छात्रों तक संतुलित, तथ्यपरक और समावेशी इतिहास पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है।