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PM मोदी ने कदंब का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कदंब का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। यह पौधा ब्रिटेन के किंग चार्ल्स III द्वारा उन्हें उपहार में दिया गया था। कदंब का पौधा न केवल भारत और ब्रिटेन के बीच मित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। जानें इस पौधे का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है।
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PM मोदी ने कदंब का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया

PM मोदी ने कदंब का पौधा लगाया

PM मोदी ने कदंब का पौधा लगाया: ब्रिटेन के किंग चार्ल्स III ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके 75वें जन्मदिन पर एक विशेष उपहार दिया - कदंब का पौधा। यह जानकारी नई दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमीशन ने सोशल मीडिया के माध्यम से साझा की।


यह उपहार पीएम मोदी की पर्यावरण संरक्षण से संबंधित पहल 'एक पेड़ मां के नाम' से प्रेरित है। कदंब का पेड़ भारत और ब्रिटेन के बीच मित्रता, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और भारतीय संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। हाल ही में पीएम मोदी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह अपने आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर कदंब का पौधा लगा रहे हैं। कदंब का महत्व केवल एक वृक्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की प्राचीन संस्कृति और पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है।




दोस्ती का प्रतीक


कर्नाटक में प्राचीन समय में जब दो राज्य मित्रता का प्रदर्शन करते थे, तो उनकी सीमाओं पर कदंब का पौधा लगाया जाता था। इसलिए इसे मित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है। कदंब राजवंश भी इस वृक्ष से गहराई से जुड़ा हुआ था। कहा जाता है कि कदंब वंश के संस्थापक मयूर शर्मा का जन्म कदंब के पेड़ के नीचे हुआ था, जिससे इस वृक्ष को पूजनीय माना गया।


भारतीय साहित्य में महत्व


भारतीय साहित्य और संस्कृति में कदंब का विशेष स्थान है। कालिदास, बाणभट्ट और भवभूति जैसे कवियों ने इसकी सुगंध और सौंदर्य का वर्णन किया है। ब्रज क्षेत्र में यह वृक्ष भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा है। भागवत पुराण में वर्णित है कि भगवान कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र चुराकर कदंब के पेड़ पर बैठ गए थे। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब गरुड़ अमृत लेकर लौटे, तो उसकी कुछ बूंदें कदंब के वृक्ष पर गिरीं, जिससे यह वृक्ष हमेशा हरा-भरा रहता है।


पुराणों में कदंब को कामदेव का प्रिय वृक्ष बताया गया है। कहा जाता है कि कामदेव अपने पुष्प बाणों में कदंब के फूल का उपयोग करते थे। देवी काली और देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी को भी यह वृक्ष प्रिय है। आयुर्वेद में भी इसका उल्लेख है और इसे औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है.