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PNB का बड़ा कदम: NPA खातों की वसूली के लिए एआरसी को बेचेगा लोन

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) खातों की वसूली के लिए एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARCs) को बेचने का निर्णय लिया है। इस कदम से बैंक की बैलेंस शीट मजबूत होगी और वसूली की प्रक्रिया में तेजी आएगी। PNB को इन खातों से 40-50% तक की वसूली की उम्मीद है। जानें NPA क्या है और इससे कर्जदारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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PNB का बड़ा कदम: NPA खातों की वसूली के लिए एआरसी को बेचेगा लोन

PNB की लोन रिकवरी प्रक्रिया में बदलाव


PNB की नई रणनीति: यदि आपने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से ऋण लिया है और आपका खाता नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बन गया है, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। इस वित्तीय वर्ष में, PNB ने 100 से अधिक NPA खातों को एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARCs) को बेचने का निर्णय लिया है, जिसका मूल्य ₹4,000 से ₹5,000 करोड़ के बीच है। इस कदम से बैंक की बैलेंस शीट को मजबूती मिलेगी और वसूली की प्रक्रिया में तेजी आएगी। हालांकि, इसका सीधा प्रभाव उन ग्राहकों पर पड़ेगा जिनके लोन खाते NPA में बदल गए हैं।


40-50% वसूली की संभावना

PNB, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है, अपनी लोन रिकवरी को तेज करने की योजना बना रहा है। बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ, अशोक चंद्रा के अनुसार, इन खातों को बेचने से उन्हें औसतन 40-50% की वसूली की उम्मीद है। कुछ मामलों में पूरी वसूली संभव है, जबकि अन्य कमजोर खातों में यह प्रतिशत कम हो सकता है।


NPA क्या है?

NPA उन खातों को कहा जाता है जिनसे बैंक को समय पर ऋण की किश्तें नहीं मिलतीं और जिनसे पैसे वापस मिलने की संभावना कम होती है। एआरसी इन खातों को बैंक से खरीद लेती हैं और फिर कर्जदार से वसूली करना उनकी जिम्मेदारी बन जाती है।


जब कोई NPA खाता एआरसी को बेचा जाता है, तो बैंक की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है और कर्जदार को सीधे एआरसी से लेन-देन करना होता है। इस प्रक्रिया से, PNB का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में बकाया ऋणों की वसूली में सुधार लाना और अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करना है।


बैंक की जिम्मेदारी समाप्त

जब कोई NPA खाता एआरसी को बेचा जाता है, तो बैंक की वसूली की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। इसके बाद कर्जदार को सीधे एआरसी से लेन-देन करना पड़ता है। कई बार बैंक निपटान में 20-30% राशि पर सहमत हो जाते हैं।


हालांकि, यदि कर्जदार इस राशि का भुगतान नहीं कर पाता और खाता एआरसी को ट्रांसफर हो जाता है, तो उसे अधिक राशि चुकाकर कर्ज का निपटारा करना पड़ सकता है। PNB का यह निर्णय चालू वित्त वर्ष में बकाया कर्ज की वसूली में सुधार और बैंक की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।