RedNote ऐप: भारत के पूर्वोत्तर में चीन-पाकिस्तान की साजिश का हिस्सा

RedNote ऐप का बढ़ता प्रभाव
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक चीनी सोशल मीडिया ऐप, RedNote, अचानक चर्चा का विषय बन गया है। पहली नजर में यह एक सामान्य यूजर-जनरेटेड कंटेंट प्लेटफॉर्म प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यह चीन और पाकिस्तान के संयुक्त मनोवैज्ञानिक युद्ध संचालन का हिस्सा बन चुका है। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड और असम जैसे संवेदनशील राज्यों में यह ऐप तेजी से फैल रहा है और स्थानीय लोगों के मनोविज्ञान पर प्रभाव डाल रहा है.
फर्जी सामग्री का प्रसार
RedNote ऐप पर नकली भारतीय सैन्य दस्तावेज, विवादित नक्शे, झूठी खबरें और AI द्वारा निर्मित फर्जी वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य युवाओं को भ्रमित करना और भारत सरकार तथा सेना के प्रति अविश्वास पैदा करना है। ये सामग्री पेशेवर तरीके से तैयार की जाती हैं ताकि वे वास्तविक लगें और तेजी से फैल सकें.
साइकोलॉजिकल ऑपरेशन का डिजिटल रूप
RedNote वास्तव में मनोवैज्ञानिक युद्ध का डिजिटल संस्करण है। यह युद्ध अब बंदूकें या मिसाइलों से नहीं, बल्कि सूचनाओं, भावनाओं और पहचान के मुद्दों से लड़ा जा रहा है। ऐप पर स्थानीय मुद्दों को उभारा जाता है, राज्य बनाम केंद्र की बहस को बढ़ावा दिया जाता है, और धार्मिक तथा जातीय तनाव को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। भारत विरोधी विचारधारा को आकर्षक मीम्स और कथित 'स्थानीय आवाज' के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.
लक्षित सामग्री का निर्माण
RedNote की पोस्ट्स की जांच से पता चला है कि इनमें से कई बॉट्स और फर्जी प्रोफाइल्स द्वारा संचालित होती हैं। 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों के आसपास भारत विरोधी सामग्री की बाढ़ आ जाती है। इन पोस्ट्स में कभी चीन की प्रशंसा की जाती है, तो कभी स्थानीय उपयोगकर्ताओं को भारत विरोधी सामग्री फैलाने के लिए पैसे का लालच दिया जाता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
- पूर्वोत्तर भारत की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, यह ऐप एक छिपा हुआ खतरा बनता जा रहा है। RedNote के माध्यम से:
- युवाओं को कट्टरपंथी विचारों की ओर मोड़ा जा सकता है।
- सेना और सरकार के प्रति मानसिक अविश्वास पैदा किया जा सकता है।
- भारत की एकता और अखंडता पर सीधा हमला किया जा सकता है।
चीन-पाकिस्तान की साझा साजिश
साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि RedNote केवल एक ऐप नहीं है, बल्कि यह चीन-पाकिस्तान सूचना युद्ध रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तानी साइबर एजेंसियां और चीनी डेटा एनालिटिक्स फर्म मिलकर इस ऑपरेशन को चला रही हैं। यह रणनीति भारत के आंतरिक स्थायित्व को कमजोर करने के लिए बनाई गई है.