25 जून आपातकाल... दूसरी गुलामी की तारीख : हरीश भसीन


हरीश भसीन बोले इंदिरा गांधी के अधिकांश राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया था और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई।श थी
मुरादाबाद, 24 जून (हि.स.)। वर्ष 1975 में आपातकाल के समय भारतीय जनसंघ की युवा विंग भारतीय युवा संघ मुरादाबाद के नगर मंत्री रहे व वर्तमान में वरिष्ठ भाजपा नेता हरीश भसीन ने मंगलवार को बताया कि बुधवार को आपातकाल को 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं।भारत में आपातकाल 1975 से 1977 तक 21 महीने की अवधि थी जब प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आंतरिक और बाहरी खतरों का हवाला देते हुए पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के अधिकांश समय में इंदिरा गांधी के अधिकांश राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई।हरीश भसीन ने आगे बताया कि तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आधिकारिक तौर पर जारी किया गया आपातकाल 25 जून 1975 से प्रभावी था और 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ। इस आदेश ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को डिक्री द्वारा शासन करने का अधिकार दिया, जिससे चुनाव रद्द किए जा सकें और नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित किया जा सके। आपातकाल के अधिकांश समय में इंदिरा गांधी के अधिकांश राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। इंदिरा गांधी शासन द्वारा 1,00,000 से अधिक राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और असंतुष्टों को कैद किया गया था। हरीश भसीन ने बताया कि आज आपातकाल को 50 वर्ष हो चुके हैं काफी लोगों की यादें से जुड़ी हुई है इसका बात कल के दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है जब कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता संविधान की बात करते हैं जून 1975 को किस प्रकार संविधान की धजिया उड़ाई गई किसी से छिपा नहीं है। मुरादाबाद महानगर में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भारतीय जन संघ के बड़े-बड़े नेताओं को 25 जून को रात्रि को गिरफ्तार कर लिया गया 26 जून को जब लोग सो कर उठे तो पता चला कि देश में इमरजेंसी लगवा दी गई है। इससे पूर्व में कभी इसका नाम नहीं सुना था। कुछ समाचार पत्र तो छपे ही नहीं और कुछ समाचार पत्रों में एडिटोरियल की जगह खाली छोड़ दी गई थी। भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन और इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय जिसके अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था अपनी गद्दी बचाने के लिए उन्होंने देश में आपातकाल लगाया अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई। लोगों में भय था एक दूसरे से बात करते हुए घबराते थे लगभग 6 माह के बाद मुरादाबाद में आंदोलन की भूमिका बनाई गई।हरीश भसीन ने बताया कि भारतीय जनसंघ पश्चिम क्षेत्र का कार्यालय बरेली हुआ करता था और उसे समय संगठन का कार्य श्याम नंदन देखा करते थे। एक बार वह हम मेरे निवास पर आए और बोले अपने तीन चार साथियों के साथ पीरगैब निवासी प्रहलाद किशोर गुप्ता के निवास स्थान पर पहुंचना था। हम सब लोग शाम को वहां पहुंच गए तो उन्होंने हमें आपातकाल के विरोध में कुछ पत्रक दिए और हमें निर्देश दिया कि यह आपको विभिन्न माध्यमों से लोगों के बीच में बांटने हैं। भविष्य में भी आपको इस प्रकार के पत्रक मिलेंगे जो आपको अलग-अलग माध्यमों से जनता तक पहुंचाने होंगे ।उसे समय फोटोस्टेट आदि नहीं होती थी। साइक्लोस्टाइल के माध्यम से प्रहलाद किशोर गुप्ता पत्र छपवाकर हम लोगों को लगातार देते थे और हम कभी बंद दुकानों के अंदर डालकर कभी पिक्चर हॉल में कभी सड़क पर खड़ी कारों के अंदर वह पत्रक डाल दिया करते थे। इसमें कई बार विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा। एक बार तो आईओ ने हमें पकड़ लिया लेकिन छात्र होने के कारण एवं हमारे क्षमा मांगने पर उन्होंने हमें छोड़ दिया था। पूर्व में हम भारतीय युवा संघ के कार्यकर्ताओं ने एक कार्यक्रम गुलजारीमल धर्मशाला में किया था, जिसमें विजय कुमार मल्होत्रा एवं सुब्रमण्यम स्वामी आए थे। हरीश भसीन ने बताया कि आपातकाल के 19 माह के बाद भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं अन्य विरोधी दलों के संघर्ष के कारण देश को दूसरी आजादी मिली और चुनाव की घोषणा हुई।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल