छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप के नेतृत्व में 35 परिवारों की हिन्दू धर्म में हुई वापसी


-छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण है बड़ा मुद्दा
सक्ती/रायपुर, 05 अगस्त (हि.स.)। छत्तीसगढ़ में इन दिनों धर्मान्तरण का मुद्दा गरमाया हुआ है। इसके बीच स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र एवं अखिल भारतीय घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने सावन माह में जोबा आश्रम जिला सक्ती में ईसाई धर्म में मतांतरित हो चुके 35 परिवारों की फार्म भरवाकर और उनके पैर धोकर हिन्दू धर्म में विधिवत घर वापसी कराई। जिला पंचायत सक्ती के सभापति आयुष शर्मा ने बताया है कि हिंदू धर्म से भटक चुके हिन्दू परिवारों को समय रहते वापस लाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद और धर्म सेना सक्ती के आयोजन में में 35 मतांतरित परिवारों को हिन्दू धर्म में वापसी कराई गई है।
जोबा आश्रम सक्ती में सावन के अंतिम सोमवार को इस सम्बन्ध में वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम 3100 पार्थिव शिवलिंग की विधिवत पूजा अर्चना की और पूजा के पश्चात प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, साध्वी प्रज्ञा भारती, ऊं महराज जोबा आश्रम, प्रांत प्रचारक विश्व हिन्दू परिषद आचार्य राकेश सहित अन्य उपस्थित अतिथियों के समक्ष 35 परिवारों की फार्म भरवाने के उपरांत उनके पैर धोकर विधिवत घर वापसी कराई गई। कार्यक्रम में साध्वी प्रज्ञा भारती, ऊं महराज जोबा आश्रम, प्रांत प्रचारक विश्व हिन्दू परिषद आचार्य राकेश, कृष्णा महराज, अंजू गबेल, राजा धर्मेंद्र सिंह, जिला पंचायत सभापति आयुश शर्मा, दीपक गुप्ता शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन रूपेंद्र गबेल ने किया।
इससे पहले छत्तीसगढ़ के सक्ती के नंदेली भांटा ग्राउंड में 29 दिसंबर 2024 रविवार को भी एक भव्य आयोजन हुआ था। जिसमें अखिल भारतीय घर वापसी प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने 265 परिवार के हजारों लोगों को विधि विधान से घर वापसी कराई थी। इस दौरान सर्व सनातन हिन्दू पंचायत सम्मेलन का भी आयोजन हुआ था । जिसमें संतों की हुई धर्म पंचायत हुई थी। सर्व सनातन हिंदू पंचायत विराट हिंदू सम्मेलन में बड़ी संख्या में लोगों ने इसाई और मुस्लिम समाज को छोड़कर हिंदू सनातन धर्म अपनाया। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने पिछले 10 सालों में उन्होंने लगभग 15,000 लोगों की घर वापसी कराई है। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा मेरे जीवन का एकमात्र संकल्प है।
धर्मान्तरण को लेकर कानून के जानकार और उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दिवाकर सिन्हा का कहना है कि धर्मांतरण दो तरीके से होता है। पहला जो खुद से धर्मांतरित होना चाहते हैं , उसके लिए धारा 25 के तहत संविधान में प्रावधान है। आप डीएम को पत्र लिखेंगे कि आप अपनी इच्छा से धर्मांतरण करना चाहता है। आप किस धर्म में जाना चाह रहे हैं। वो सारी जानकारी डीएम के समक्ष प्रस्तुत करेगा। 7 दिन का समय दिया गया है। 7 दिन में डीएम उसकी जांच करेगे,कहीं जोर जबरदस्ती या प्रलोभन देकर तो धर्मांतरण नहीं कराया जा रहा है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति धर्म बदल सकता है। वहीं दूसरी श्रेणी होती है सामूहिक धर्मांतरण। यह धर्मांतरण संस्थाओं के द्वारा किया जाता है, उस पर रोक लगाने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने इस संबंध में सख्त कानून बनाने की बात कही है।
राज्य गृह विभाग के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2021-22 में धर्मांतरण की 31 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 9 में मामला दर्ज किया गया। इसी तरह 2022-23 में 11 शिकायतों में से 3 में मामला दर्ज किया गया। 2023-24 में धर्मांतरण को लेकर होने वाली शिकायतों की संख्या 16 थी, जिसमें जांच के बाद 9 में मामला दर्ज किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य की करीब 32 प्रतिशत आबादी आदिवासी है। इनमें सरगुजा, बस्तर के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के लिए धर्मांतरण बहुत बड़ा मुद्दा है। 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2.55 करोड़ है। जिनमें ईसाइयों की संख्या 4.90 लाख है। यानी ईसाई कुल आबादी के 1.92 फ़ीसदी हैं। राज्य में रोमन कैथोलिक वर्ग की जनसंख्या 2.25 लाख और मेनलाइन चर्च, जिसमें चर्च ऑफ़ नार्थ इंडिया, मेनोनाइट्स, ईएलसी, लुथरन आदि शामिल हैं, इनकी जनसंख्या 1.5 लाख है।
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हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा