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रूस के महान रचनाकार फयाेदाेर दाेस्ताेएव्स्की के वंशज अलेक्सी दाेस्ताेएव्स्की से एक मुलाकात

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रूस के महान रचनाकार फयाेदाेर दाेस्ताेएव्स्की के वंशज अलेक्सी दाेस्ताेएव्स्की से एक मुलाकात


रूस के महान रचनाकार फयाेदाेर दाेस्ताेएव्स्की के वंशज अलेक्सी दाेस्ताेएव्स्की से एक मुलाकात


नवनी करवाल

नई दिल्ली, 16 नवंबर (हि.स.)। भारत में साहित्य प्रेमियाें के लिए रूस के महान उपन्यासकार, कथाकार और निबंधकार फयाेदाेर मिखाइलाेविच दाेस्ताेएव्स्की की पुस्तकें मानव मन के उद्वेगाें काे 'शाब्दिक' रूप देती हैं । ऐसे महान व्यक्तित्व के परपाेते के परपाेते 'ग्रेट ग्रेट ग्रैंडसन' अलेक्सेई दिमित्रीविच दाेस्ताेएव्स्की से देश की राजधानी में हुई एक मुलाकात में कहीं न कहीं उस महान कथाकार का प्रतिबिंब दिखाई दिया।

हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में अलेक्सी की जुबां पर अपने पूर्वज की थाती के कारण उनसे अपेक्षाओं के बाेझ काे लेकर अपनी व्यथा आ ही गयी।

हालांकि वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, 'मेरे शिक्षक मुझसे परेशान रहते थे। कहते थे तुम इतने महान कथाकार के वंशज हाे ताे तुम्हारी साहित्य पर ताे अच्छी पकड़ हाेनी चाहिए। पर मैं ऐसा नहीं साेचता था।

यह पूछे जाने पर कि क्या उनके लिए दाेस्ताेएव्स्की की वंश परंपरा काे लेकर अपेक्षाएं उनपर डाला गया एक बाेझ हैं, या फिर वह इसे पंसद करते हैं, अलेक्सेई तपाक से कहते हैं ,देखिए मैं इतना अमीर नहीं हूं लेकिन मुझे अपनी वंशावली पर गर्व हैं। माना कि मैं एक ट्राम चालक भी रहा और 'एडवेंचर' पंसद करता हूं। लेकिन यह मेरे लिए फख्र की बात हैं।

यह पूछने पर कि उन्हें फयाेदाेर की काैन सी पुस्तक सबसे अच्छी लगती हैं, अलेक्सेई कहते हैं, जैसे काेई मां अपने बच्चाें में भेद नहीं करती वैसे ही मैं भी अपने परदादा की किताबाें में सबसे बेहतर की तलाश नहीं कर सकता । मेंरे लिए सभी एक से बढ़कर एक हैं।

अलेक्सेई एक अलग तरह के दाेस्ताेएव्स्की वंशावली की जीवतंता काे प्रदर्शित करते हैं जाे अब भी व्यावहारिक और जमीनी, दाेनाें स्तराें पर जुड़ाव रखती है। सेंट पीटसबर्ग में रहते हुए वह आधुनिक जीवन शैली काे अपनाने के बावजूद पुरातन रूसी सांस्कृतिक परंपरा काे कायम रखे हुए हैं। वह कहते हैं, पुराने जमाने से अलग आजकल तकनीक के विकास पर ज्यादा जाेर हैं। आज आप और हम इंटरनेट के माध्यम से देश- विदेशाें से आसानी से जुड़ सकते हैं। पहले जीवन में तकनीकि का इतना हस्तक्षेप नहीं था। यह पूछे जाने पर कि क्या वह इससे खुश हैं, वह कहते हैं ये दाेनाे तरीके से सही-गलत हाे सकता है और ये आप पर निर्भर करता है कि आप इसका कैसे इस्तेमाल करते हैं।

वर्तमान समय में पिछले चार सालाें से चल रहे रूस -यूक्रेन युद्ध पर अपनी राय रखते हुए वह कहते हैं कि रूस की लड़ाई यूक्रेन से नहीं बल्कि बरसाें से यूराेप और मुख्य रूप से ब्रिटेन से है। अलेक्सी कहते हैं , यहां अमेरिका से भी हमें काेई दुराव नहीं है। वह कभी दाेस्त हाेता है और कभी दुश्मन। लेकिन सही मायनाें में यह ब्रिटेन है जिसकी औपनिवैशिक चालबाजी का भारत भी शिकार रहा है।

युद्ध के आर्थिक परिणामाें के बारे में पूछे जाने पर वह कहते हैं, हां, इससे थाेड़ा असर ताे हैं पर यह ताे हाेता ही है।

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रबल समर्थक अलेक्सेई भारत- रूस की मैत्री काे और पुख्ता करने पर जाेर देते हुए कहते हैं, हम हमेशा से ही अच्छे दाेस्त रहे हैं।

रूस की कम हाे रही जनसंख्या विशेषताैर पर रूसी पुरूषाें की कम संख्या के बारे में पूछे जाने पर वह कहते हैं, ऐसा हाे रहा है और हमें इसे बचाना है। हम सबकाे ऐसा करना हाेगा। आज वैश्वीकरण का दाैर खत्म हाे रहा है। हमें अपने अपने देशाें काे आत्मनिर्भर बनाना हाेगा। ऐसा करके की हम अपनी 'रेस' काे बचा पांएगे, जाे बेहद जरूरी भी है।'

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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल