कर्नाटक के किसान को अंगूर की खेती में मिली सफलता, दो एकड़ से 300 एकड़ तक का सफर

-राकेश महादेवप्पा
अंगूर जो नहीं मिलते, वे खट्टे होते हैं वाली कहावत तो सभी जानते हैं, लेकिन कर्नाटक के बागलकोट जिले के मुधोल कस्बे के राजशेखर अंगड़ी की कहानी ने इस कहावत को अलग अर्थ दिया है। वे पहले सिर्फ़ दो एकड़ में अंगूर उगाते थे लेकिन कड़ी मेहनत, दृढ़ निश्चय और वैज्ञानिक खेती के तरीकों की मदद से उन्होंने 300 एकड़ का कृषि साम्राज्य खड़ा कर लिया है।
राजशेखर अंगड़ी की खेती की यात्रा संयोगवश शुरू हुई। जब उनके बड़े भाई, स्वर्गीय मल्लिकार्जुन अंगड़ी ने बाहर जाने का फैसला किया तो अंगूर के बाग की ज़िम्मेदारी इंजीनियरिंग के छात्र राजशेखर के कंधों पर आ गई। हालाँकि उनके पिता पेशे से अधिकारी थे, फिर भी खेती में उनकी रुचि ने उन्हें प्रेरित किया। उनके नए जीवन की शुरुआत दो एकड़ में अंगूर की खेती से हुई।
विज्ञान और दृढ़ता का संयोजन
1990 में बागलकोट क्षेत्र में अंगूर की खेती नई थी। शुरुआती दिनों में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मराठी न जानने के बावजूद, वे मार्गदर्शन के लिए महाराष्ट्र के कृषि विशेषज्ञों के पास गए। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से सलाह लेकर और नई तकनीक अपनाकर, वे अच्छी फसल प्राप्त करने में सफल रहे। उनकी पहली सफलता के फल ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
एक आदर्श किसान जिसने आय को निवेश में बदला
ज़्यादातर किसान अपनी कमाई, अन्य चीजों पर खर्च कर देते हैं लेकिन राजशेखर अंगड़ी ने उस कमाई को फिर से खेती में लगा दिया। उन्होंने धीरे-धीरे अपने दो एकड़ के ज़मीन का विस्तार 10, 50, 100... और अंततः 300 एकड़ तक कर लिया। कृषि परामर्श उद्यमी शिवयोगी आर. बैककोड कहते हैं कि नई पद्धतियों, तकनीक और निरंतर सीखने ने उनके कृषि विस्तार में अहम भूमिका निभाई है।
एक किसान जो बदलाव से नहीं डरता
राजशेखर अंगड़ी ने बागवानी से शुरुआत की और बाद में गन्ना, हल्दी, मक्का, सोयाबीन और बीटी कपास की खेती की ओर रुख किया। उन्होंने 1990 में अंगूर की खेती शुरू करके लगभग दो दशकों में प्रगति की एक नई इबारत लिखी। हालाँकि कीमतों में गिरावट के कारण उन्होंने अंगूर की खेती छोड़ दी लेकिन उस फसल से होने वाले मुनाफे से उन्होंने 300 एकड़ ज़मीन खरीदने में कामयाबी हासिल की।
राजशेखर ने समस्याओं को अवसर के रूप में देखा
राजशेखर अंगड़ी ने कहा कि समस्याओं का समाधान खोजना ही सफलता का मंत्र है। वर्तमान में, राजशेखर अंगड़ी 150 एकड़ में गन्ना, 40 एकड़ में बीटी कॉटन, 25 एकड़ में हल्दी, 40 एकड़ में मक्का और 12 एकड़ में सोयाबीन उगा रहे हैं। व्यवस्थित योजना, वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों और कड़ी मेहनत के बल पर, वे सफल किसानों के एक नए मॉडल के रूप में उभरे हैं।
बागलकोट का यह किसान आज कर्नाटक के युवा किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है। राजशेखर अंगड़ी ने सचमुच साबित कर दिया है कि जब तकनीक, नवाचार और कड़ी मेहनत का मेल हो तो कृषि करोड़ों रुपये का उद्योग बन सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश महादेवप्पा